शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): । जुन्गा क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों की बदहाली को लेकर सीपीआईएम हिमाचल ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया है ।  राज्य सचिव मंडल सदस्य डॉ0 कुलदीप सिंह तंवर ने  जारी बयान में कहा है कि आजादी के 73 वर्ष के बाद भी जुन्गा क्षेत्र विकास और विशेषकर स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत पिछड़ा हुआ है जिसके लिए दोनों कांग्रेस और भाजपा पार्टियां जिम्मेवार है । सिविल अस्पताल जुन्गा में ढांचागत सुविधाओं के अभाव के चलते इस क्षेत्र के लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए शिमला जाना पड़ता है । इसके अतिरिक्त पीएचसी जटोली , आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी बलोग व  पीरन में चिकित्सकों सहित अनेक पद खाली पड़े हैं । प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ट्रहाई में डॉक्टर सप्ताह में एक अथवा दो दिन बैठते है । डॉ0 तंवर ने कहा कि दुर्भाग्यवश यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो इस क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में प्राथमिक उपचार की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। उप स्वास्थ्य केंद्र डुब्लु में पिछले तीन वर्षों से ताला लटका हुआ है ।
डॉ0 तंवर का कहना है कि यह हमारे प्रदेश का दुर्भाग्य है कि ग्रामीण परिवेश के लोगों को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए शहर की ओर जाना पड़ता है । इनका कहना है कि कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के डॉक्टरों की शिमला व अन्य स्थानों में डियूटी लगा दी गई है जिससे गांव में विशेषकर बुजुर्गों को अपना उपचार करवाने में सबसे अधिक समस्या उत्पन्न हुई है । इस दौरान परिवहन व्यवस्था न होने के कारण  अनेक गरीब बुजुर्ग उपचार के अभाव में दुनिया को अलविदा कह गए हैं।
डॉ0 तंवर का आरोप है कि नए  मेडिकल कॉलेजों के एससीआई द्वारा किए जाने वाले  निरीक्षण के दौरान सरकार इनकी मान्यता बरकरार रखने के लिए आईजीएमसी व अन्य अस्पतालों से विशेषज्ञ डॉक्टरों को अस्थाई तौर पर भेजा जाता है जिससे जहां डॉक्टरों को अस्थाई तौर पर रहने में परेशानी पेश आती है वहीं पर लोगों को विशेषज्ञ सेवाओं से महरूम रहना पड़ता है । दूसरी ओर कोविड-19 के चलते डीडीयू अस्पताल को बंद रखा जाता है जबकि इस अस्पताल में कसुंपटी निर्वाचन क्षेत्र की 80 प्रतिशत जनता इलाज करवाने आती है । उन्होने सरकार से मांग की है जुन्गा क्षेत्र के स्वास्थ्य संस्थानों में ढांचागत सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि लोगों को छुटपुट बिमारियों के इलाज को शिमला न आना पड़े ।