हैदराबाद,(R.Santosh): राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय संवैधानिक न्यायालय के फैसले की समीक्षा के लिए जोर दे रही है, जिसमें गो MS3 पर सर्वोच्च न्यायालय संवैधानिक सम्मेलन को रद्द कर दिया गया है, जो अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों को शिक्षक पदों का 100 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। मंत्री सत्यवती राठौड़ ने सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की 22 तारीख को संवैधानिक कन्वेंशन को पलट दिया, जो कि जियो एमएस नंबर 3 संविधान के उल्लंघन में चेब्रोस लीला प्रसाद द्वारा दायर याचिका के बाद है। आदिम जाति कल्याण आयुक्त और विशेष सचिव श्रीमती क्रिस्टीना और अतिरिक्त प्रबंधक सर्वेश्वर रेड्डी ने आज दामोदर संजीव कल्याण भवन में इसकी समीक्षा की।

सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक न्यायालय ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य सरकार की ओर से दायर समीक्षा याचिका को कानूनी सलाह, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों और आदिवासी नेताओं की सलाह से व्यापक बनाया गया था। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में राज्य सरकार जनजातियों के अधिकारों की रक्षा के लिए समझौता नहीं करेगी और उनके हितों की रक्षा के लिए सभी संभव उपाय करेगी।

MS3 पर समीक्षा याचिका दायर करने के लिए राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट पहले से ही तैयार की जा रही है और जल्द ही याचिका में शामिल सभी पक्षों से राय लेनी होगी।

अनुसूचित क्षेत्रों में शिक्षकों के पदों के 100% को जनजाति के साथ बदलने के लिए आंध्र प्रदेश के 2000 के आदेश के साथ दोनों राज्य MS3 संयुक्त राज्य के परामर्श पर हैं। आंध्र प्रदेश सरकार के साथ समन्वय में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए याचिका तैयार की जा रही है।

मंत्री ने कहा कि जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने पहले ही केंद्र सरकार से पिछड़ी जनजातियों के अधिकारों की रक्षा में सहयोग करने के लिए कहा है।

मंत्री सत्यवती राठौड़ ने मुख्यमंत्री केसीआर से राज्य के सभी आदिवासियों और आदिवासियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करने का आग्रह किया।