देहरादून। देहरादून के सुभाषनगर स्थित अपने सपने एनजीओ के संस्थापक अरुण कुमार यादव के घर पर माजरा के रहने वाले सुहैल नामक एक मजदूर आये, उन्होंने कहा सर हम सरकार द्वारा की हुई ट्रेन द्वारा अपने घर बिहार जा रहे हैं, पर मेरे पास रास्ते के लिए एक भी पैसे नहीं है, हालांकि अरुण कुमार यादव द्वारा सुहैल को राशन के रूप में मदद करते आ रहे थे। उनके द्वारा सुहैल के इस मदद के लिए कैश के रूप में कम रुपये ही थे उस समय, तो उनकी 10 वर्षीय बेटी आन्या यादव उनके पास गई और बोली पापा मेरे गुल्लक में जो पैसे हैं यह सभी अंकल को दे दीजिए। बेटी आन्या ने गुल्लक में इकट्ठे 400 रुपये उन्हें सुहैल को देने के लिए दे दिए। बेटी आन्या के दिए हुए पैसे सुहैल को मिलने पर उनके चेहरे पर मुस्कान देखते ही बनती थी। अरुण यादव ने बताया कि मात्र 10 वर्ष की उम्र में बेटी द्वारा यह भावना देख बहुत ही खुशी हुई।
कोरोना महाकाल के संकट में 10 वर्ष की आन्या ने दान की अपनी गुल्लक
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