दुनियाभर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था FATF के एशिया प्रशांत समूह (Asia Pacific Group, APG) ने पाकिस्‍तान को करारा झटका दिया है। APG ने कहा है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सिक्यॉरिटी काउंसिल रेजोलूशन 1267 (UNSCR 1267) को लागू करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया है। उसने संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा प्रतिबंधिंत आतंकवादियों, हाफिज सईद, मसूर अजहर और लश्‍कर-ए-तैयबा, जमात उद दावा एवं एफआईएफ जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस और न‍िर्णायक कार्रवाई नहीं की है।

गौरतलब है कि इस महीने की 13 से 18 तारीख के बीच एफएटीएफ की बैठक होनी है। इस बैठक में आतंकी संगठनों की फंडिंग के मसले पर पाकिस्तान पर निर्णय लिया जाएगा। इसी बैठक में FATF एशिया प्रशांत समूह (APG) की रिपोर्ट पर भी विचार करेगी। यदि रिपोर्ट में आतंकियों के खिलाफ पाकिस्‍तान की ठोस कार्रवाई का जिक्र नहीं दिखा तो FATF उसे ब्‍लैक लिस्‍ट भी कर सकता है। हालांकि, बैठक से चंद दिनों पहले जारी हुई एपीजी की इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान को तगड़ा झटका दिया है। इस रिपोर्ट के बाद अब उस पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडराने लगा है।

APG ने म्युचुअल इवैल्युएशन रिपोर्ट ऑफ पाकिस्तान (Mutual Evaluation Report of Pakistan) शीर्षक वाली अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के साथ-साथ वहां सक्रिय आतंकी संगठनों जैसे आईएस (Da’esh), अल-कायदा (al-Qaeda), जमात-उद-दावा (Jama’at-ud-Da’wa), जैश-ए-मुहम्‍मद (Jaish-e-Mohammed) से पैदा होने वाले खतरों को पहचानने के साथ साथ उसका आकलन करे और उनके खिलाफ ठोस कदम उठाए। रिपोर्ट में साफ साफ कहा गया है कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों खासकर लश्कर-ए-तैयबा जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की है।

FATF ने साल 2018 में जब पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला था। एफएटीएफ ने तब उसे आतंकी संगठनों के खिलाफ 27 बिंदुओं पर काम करने के निर्देश दिए थे और इसके लिए 15 माह का समय दिया गया था। बता दें कि जून में एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकी फंडिंग पर उसके द्वारा सौंपी गई 25 सू‍त्रीय कार्ययोजना को पूरी करने में नाकाम रहा है। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को अक्‍टूबर तक अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की चेतावनी दी थी। FATF ने कहा था कि पाकिस्‍तान ने यदि उसके निर्देशों पर अमल नहीं किया तो उसे ब्‍लैक लिस्‍ट भी किया जा सकता है। चूंकि 15 महीने की अवधि सितंबर में पूरी हो चुकी है और अब उक्‍त बिंदुओं पर एफएटीएफ का आखिरी फैसला आना है। ऐसे में एशिया प्रशांत समूह (APG) की नई रिपोर्ट पाकिस्तान के लिए नई मुसीबत पैदा कर सकती है।