शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): कंपनियों के लिए राहत भरी खबर है। नियोक्ताओं को ईपीएफ ओ ने राहत दी है। ईपीएफओ ने लॉकडाउन के दौरान भविष्य निधि बकाया जमा करने में देरी के लिए नियोक्ताओं को दंडित नहीं करने का फैसला किया है। लॉकडाउन के दौरान किसी भी अवधि के लिए योगदान या प्रशासनिक शुल्क समय पर जमा करने में प्रतिष्ठानों की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए ईपीएफओ ने फैसला किया है कि परिचालन या आर्थिक कारणों से होने वाली देरी को डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा।
इसके लिए दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
मौजूदा नियमों के तहत कंपनियों को कर्मचारियों के ईपीएफ का भुगतान 15 तारीख या उससे पहले जमा करवाना पड़ता था। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लिया जाता था। प्रदेश कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त सुदर्शन कुमार ने कहा कि कोरोना संकट में फर्म सामान्य रूप से काम करने में असमर्थ हैं। समय पर वैधानिक योगदान का भुगतान करने में देरी हो रही है। हालांकि, इस कदम से लगभग 650,000 प्रतिष्ठानों के लिए अनुपालन मानदंड में कमी आएगी। यह कदम कंपनियों को पूर्ण लचीलापन देगा। कंपनियों को देरी के कारण पेनल्टी के रूप में देय अतिरिक्त राशि के भुगतान से भी निजात मिलेगी।