चेन्नई,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि प्रवासी कामगारों से काम लेने के बाद प्रदेश सरकार उनके प्रति अकृतज्ञ नहीं हो सकती। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वे युद्धस्तर पर प्रवासी कामगारों को खाना और आश्रय उपलब्ध कराए।जस्टिस एन. किरुबकरन और जस्टिस आर. हेमलता की खंडपीठ के समक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल जी. राजगोपालन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत निर्देश दिए हैं और उनका पालन किया जा रहा है।सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक प्रवासी कामगारों से ट्रेन यात्रा का किराया भी नहीं लिया गया है। उन्होंने इस संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से और समय की मांग की।

याचिकाकर्ता-अधिवक्ता एपी सूर्यप्रकाशम का कहना था कि हजारों प्रवासी कामगारों को खाना और आश्रय उपलब्ध नहीं है और वे रेलवे स्टेशनों पर लूटपाट कर रहे हैं। लिहाजा, उन्हें खाना, आश्रय और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जाएं।
याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की है जिसमें इल्लयाराजा और 400 अन्य को पेश करने की मांग की गई है जिन्हें महाराष्ट्र में सांगली के पुलिस अधीक्षक ने कथित रूप से गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया है।