नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कोरोना महामारी की मार झेल रहे किसानों की हालत सुधारने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए आवश्यक वस्तु कानून में किसान हितैषी संशोधन को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए 3 अध्यादेश ला रही है।
उन्होंने बताया कि किसानों के कल्याण संबंधी सुधारों को लागू करने के लिए आवश्यक वस्तु कानून में संशोधन किया गया है। इससे एक ओर किसानों को अपनी फसलों का उचित दाम मिलेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने उत्पाद बेचने से संबंधित विभिन्न प्रतिबंधों से भी मुक्ति मिलेगी। तोमर ने कहा कि कृषि उत्पाद के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी और बड़ा निर्णय है। उन्होंने कहा कि आज का दिन इस मायने में ऐतिहासिक है कि किसानों को अपनी उपज बेचने की आजादी मिल रही है। किसान मंडियों के बाहर के क्षेत्रों में यहां तक कि अपने घर से भी उत्पादों को बेच सकेगा और इस पर कोई कर भी नहीं लगेगा।
मोदी कैबिनेट के फैसलों पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और नरेंद्र सिंह तोमर ने कई अहम जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि किसानों को लेकर मोदी सरकार ने अध्यादेश को मंजूरी दी है। किसानों के लिए एक देश, एक बाजार बनेगा। सरकार ने किसानों को किसी भी राज्य में फसल बेचने की अनुमति दी है। जावड़ेकर ने बताया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम और मंडी कानून में संशोधन किया गया है और कृषि उत्पादों के भंडारण की सीमा खत्म कर दी गई है। जावड़ेकर ने कहा कि किसानों के हित में कानून में सुधार किया गया है।
जावड़ेकर ने बताया कि आवश्यक वस्तु अधिनियम और मंडी कानून में संशोधन किया गया है और कृषि उत्पादों के भंडारण की सीमा खत्म कर दी गई है। जावड़ेकर ने कहा कि किसानों के हित में कानून में सुधार किया गया है। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आज कैबिनेट में कृषि के बारे में 3 और अन्य फैसले हुए हैं। अत्यावश्यक कानून को किसान हितैषी बनाया गया है।किसानों को लेकर ऐतिहासिक फैसले लिए गए हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम से प्याज, तेल, तिलहन, आलू को बाहर कर दिया गया है। वन नेशन, वन मार्केट पर भी चर्चा हुई। एक और महत्वपूर्ण निर्णय ये हुआ है कि अब किसानों को ज्यादा दाम मिलने पर अपनी उपज को आपसी सहमति के आधार पर बेचने की आजादी होगी।