
नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : ऑस्ट्रेलिया के “हीलिंग चर्च” ने कोरोना वायरस के इलाज के नाम पर ब्लीच की मार्केटिंग की। जिसके बाद उस चर्च पर 150,000 डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। ऑस्ट्रेलिया के ड्रग रेगुलेटर, चिकित्सीय सामान प्रशासन (टीजीए) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ऑस्ट्रेलिया के जेनेसिस-II चर्च ऑफ हेल्थ एंड हीलिंग पर ब्लीचिंग पाउडर के घोल को बेचने और उसकी मार्केटिंग करने के लिए जुर्माना लगाया गया है। ब्लीचींग पाउडर को कीटाणुनाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह एक रसायन है, जिसे क्लोरीन भी कहा जाता है। वहीं, सोडियम क्लोराइट और साइट्रिक एसिड के घोल को ही चमत्कारिक घोल कहा जा रहा था। इसके मिश्रण को MMS या खनिज घोल कहते हैं। ऐसा दावा किया जा रहा था कि इससे कैंसर, एड्स/एचआईवी और मलेरिया सहित कई गंभीर बीमारियों का 95% इलाज संभव है। टीजीए ने बताया कि चर्च ने एक वेबसाइट के जरिये यह दावा किया था कि कोविद-19, एचआईवी और कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का इससे इलाज व रोकथाम संभव है। जेनेसिस-II चर्च के अमेरिकी नेता मार्क ग्रेनन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को भी लिख कर इसकी जानकारी दी थी।
उन्होंने एक पत्र जारी करते हुए कहा था कि क्लोरीन डाइऑक्साइड, कपड़ा निर्माण जैसी औद्योगिक ईकाईयों में इस्तेमाल किए जाने वाला एक शक्तिशाली रसायन है। हालांकि, इसके कई फायदे है। यह एक अद्भुत डिटोक्स की तरह काम करता है। जो शरीर में 99% रोगों को जन्म देने वाले किटाणुओं को मार सकता है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि इससे “कोविड-19 का संक्रमण नहीं होता है। और अगर है तो छुटकारा भी पाया जा सकता है। जबकि, टीजीए ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि इस बात की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। इसके कोई साक्ष्य नहीं मौजूद है जो बताते है कि यह कोरोना वायरस को समाप्त करने या उसके रोकथाम में सहायक है। बल्कि इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप मतली, उल्टी, दस्त होना आदि शामिल है। कुछ मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की नौबत भी आ सकती है। टीजीए ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह किसी मेडिकल व्यापारी द्वारा किया गया कारनामा है। जिससे सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।