शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम):जीरो से माईनस 23.9 दर पर पहुंची जीडीपी ने दुनिया का ध्यान भारत की ओर खींचा है। तरह-तरह के सवाल उठने लगे हैं, जिनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देश की करंसी कलेप्स होने की ओर जा रही है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। राणा ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में जीडीपी में इतनी बड़ी गिरावट पहली बार देखी गई है। हालांकि जीडीपी का गिरना कोविड-19 कारण बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि जीडीपी पिछले दो वर्षों से लगातार गिर रही है। इस गिरावट को देश की जीडीपी का गिरता सरकारी ग्राफ बता रहा है। जीडीपी में इतनी बड़ी गिरावट से जनता को बैंकों में जमा अपनी पूंजी व जॉब सिक्योरिटी जैसे खतरे डराने लगे हैं। इसी दौरान देश की सबसे ईमानदार पार्टी का सर्टिफिकेट लेकर घूमने वाली बीजेपी दुनिया की सबसे रईस पार्टी बन चुकी है। देश की जीडीपी बेशक रसातल में पहुंच चुकी है, लेकिन देश पर राज करने वाली बीजेपी की जीडीपी सातवें आसमान पर जा पहुंची है। दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में जीडीपी का निकला जनाजा देश में खतरनाक आर्थिक असंतुलन पैदा कर रहा है। राणा ने कहा कि सबसे निचले स्तर पर पहुंची जीडीपी का आंकड़ा सरकारी है, लेकिन सरकारी आंकड़ा कितना सही है इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्योंकि झूठ की राजनीति की मास्टर हो चुकी बीजेपी की इसी बात पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है। बीजेपी के राज में सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता लगातार कम हुई है और अब आलम यह है कि सरकार के किसी भी आंकड़े पर देश में किसी को कोई भरोसा बाकी नहीं बचा है। ऐसे में अगर गिरती जीडीपी का असल आंकड़ा कहीं और नीचे हो तो कोई हैरानी नहीं होगी। हालांकि सरकार द्वारा जीडीपी को जमीन पर आने के लिए कोविड-19 को जिम्मदार बताया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि जीडीपी का ग्राफ नोटबंदी व गलत जीएसटी जैसे फैसलों के बाद लगातार गिरा है। जिससे देश की चरमरा चुकी अर्थव्यवस्था से सामाजिक सुरक्षा का खतरा बढ़ा है। विकास दर की ही जीडीपी नीचे नहीं गिरी है, कृषि, भवन निर्माण, विनिर्माण, खनन व सर्विस सेक्टर भी हाल-बेहाल है। जहां तक कृषि का सवाल है तो उसके आंकड़े पर भी संशय बरकरार है। क्योंकि कृषि के आंकड़े को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई है। राणा ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में जीडीपी की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज होना सरकार की नाकामी का उजागर करता है। सत्ता के अहम में डूबी बीजेपी सरकार ने देश से ज्यादा पार्टी व पार्टी के नेताओं के विकास को तरजीह दी है। सरकार ने विपक्ष के साथ सभी संवैधानिक संस्थाओं को नष्ट-भ्रष्ट करने का काम किया है। विपक्ष की हर चेतावनी को नजरअंदाज किया है। जिस कारण से वर्तमान में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने चली बीजेपी ने देश की अर्थव्यवस्था को अर्श से फर्श पर ला पटका है। वर्तमान दौर में अब किसी भी नागरिक को अपना भविष्य सुरक्षित नहीं लग रहा है। देश व्यापारियों, दलालों व सत्ता के महा दलालों के शिकंजे में है। जो संवैधानिक संस्थाएं व देश के लिए प्रॉफिट मेकिंग संस्थान कांग्रेस ने 60 साल के संघर्ष व मेहनत से खड़े किए थे, उस सिस्टम को बीजेपी ने मात्र 6 सालों में या तो बेच डाला है, या फिर उसका वजूद ही मिटा डाला है।