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भोपाल ,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल का कहना है कि कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के नतीजे भी बेहतर आए हैं। बीते कुछ दिनों से एम्स भोपाल में इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। एम्स भोपाल के निदेशक प्रो. सरमन सिंह ने शनिवार को बताया कि अब तक तीन मरीज इस क्लिनिकल ट्रायल में ठीक हो चुके हैं। प्रो. सिंह ने कहा कि हम भोपाल के एम्स में कोरोना मरीजों के इलाज में बीते कुछ दिनों से माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का क्लिनिकल परीक्षण कर रहे हैं। कोरोना मरीजों के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के प्रयोग के अच्छे नतीजे आए हैं।

 

उन्होंेने बताया कि इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अब तक चार कोरोना संक्रमित मरीजों का पंजीकरण किया गया था जिनमें से तीन पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। ठीक हो चुके तीनों मरीजों को अब अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। प्रो. सिंह ने बताया कि जल्दछ ही फेवीपिराविर दवा भी कोरोना मरीजों के इलाज में परखी जाएगी। कोरोना मरीजों पर इस दवा का प्रयोग जापान में किया जा रहा है। उन्होंगने बताया कि एक वक्ता था जब Mycobacterium W एक वैक्सीन मानी जाती थी लेकिन अब दवा कही जाती है। हम इसका क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। यदि क्लिनिकल ट्रायल में यह कारगर साबित होती है तो कोरोना संक्रमण के इलाज में यह दवा बन जाएगी।

माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का इस्तेमाल कुष्ठ रोग में किया जाता है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद को इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी मिली थी। इस मंजूरी के बाद एम्स भोपाल सहित देश के तीन अस्पतालों में इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है। यह दवा मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।