उत्तराखण्ड राज्य में सूबे के जन्म से ही पनपना शुरू हो गया था भ्रष्टाचार
राज्य में सरकारें आती और जाती रहीं, नहीं दिखाई किसी सरकार ने गंभीरता?

मानदेव क्षेत्री

देहरादून। यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि उत्तराखण्ड राज्य अपने शैशव काल से ही भ्रष्टाचार की गिरफ्त में ही रहा है। दून को सूबे की अस्थाई राजधानी बनाने के लिए करोड़ों के देहरादून में हुए निर्माण कार्यों में भारी भरकम घोटालों की गूंज से लेकर आज तक राज्य की धरती पर इतने घोटाले हुए हैं कि उनको गिनते-गिनते शर्मसारी हो जाएगी। कई अधिकारी ऐसे हैं जो कि वर्षों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं और शायद अपने आकाओं की पूरी आव-भगत करने एवं उन्हें खासा अतिरिक्त लाभ पहुंचाने में जुटे हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि राजधानी में पेयजल निगम के दफतर में ही कई अफसर ऐसे हैं जो कि भ्रष्ट हैं और ऐसी खबरें व चर्चाएं हैं कि वे अपने अपने आका अफसरों व अन्य चहेतों को खूब कमाई करके दौलत देते चले आ रहे हैं। यही कारण है कि कई अफसरों की अकूत सम्पत्ति जमा होने के मामले सामने आते रहते हैं। दून स्थित पेयजल निगम पर नजर डाली जाए तो यहां भ्रष्ट अधिकारी कुछ कम नहीं हैं?
राज्य को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने का राग अलापने वाले ही भ्रष्टाचार को हवा देते नजर आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि पेयजल निगम भ्रष्टाचार को लेकर पिछले लम्बे समय से खासी चर्चाओं में चला आ रहा है। इसी निगम के एक अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास पर रिश्वतखोरी को लेकर उंगलियां उठती रही हैं। इस अधिकारी सुजीत कुमार पर आय से अधिक सम्पत्ति रखने व अर्जित करने के सनसनी खेज खुलासे के बाद विजिलेंस की टीम ने संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराकर मामले की जांच भी कराई, लेकिन मुख्य बात यह हैं कि यह जांच अपना रूप ढीला ही अपनाये रही और मामला कड़ी जांच से अछूता ही बना दिखाई दिया। वर्षों से लेकर आज तक पेयजल निगम में प्रबंध निदेशक की कुर्सी पर बैठे भजन सिंह की ताजपोशी अथवा उनको प्रबंध निदेशक की महत्वपूर्ण कुर्सी दिलाने में निलंबित रहने वाले निगम के ही अधिकारी सुजीत कुमार विकास की प्रभावशाली भूमिका सामने आ चुकी है। यह कहा जा सकता है कि सुजीत कुमार विकास और एमडी भजन सिंह की कहीं न कहीं उच्च स्तरीय राजनीतिक पहुंच संभवतः है।
मुख्य बात यह है कि एमडी भजन सिंह की पेयजल निगम में जो कुर्सी है, उसको आखिर वर्षों बाद भी वरदान और आशीर्वाद किस बड़ी सियासी एवं राजनैतिक हस्ती का मिला हुआ है? सवाल यह भी है कि आखिर पेयजल निगम के एमडी के लिए सरकारी अथवा राज्य सरकार का कोई नियम-सिद्धांत लागू नहीं होता है? भजन सिंह का पिछले करीब पन्द्रह वर्षों से एक ही स्थान और पद पर टिके रहना वास्तव में कई सवालों को सरेआम खड़ा कर रहा है। साथ ही पूर्व की रही कांग्रेस सरकारों के अलावा वर्तमान में भाजपा सरकार द्वारा भी एमडी भजन सिंह को लेकर कोई भी कदम न उठाया जाना बहुत सारे सवालों को जन्म दे रहा है। पेयजल निगम के एमडी की कार्यशैली से सरकार व आला अफसरों का लगाव आखिर इतना घनिष्ठ क्यों है, यह बड़ा सवाल पूरी नौकरशाही में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि प्रबंध निदेशक भजन सिंह के पास भी आय से कहीं अधिक सम्पत्ति एवं धनराशि है, लेकिन इतना होने के बावजूद न तो आयकर विभाग ही कोई एक्शन लेता दिखाई दे रहा है और न ही सरकार ही कोई कार्यवाई अथवा स्थानांतरण ही भजन सिंह का कराने की आवश्यकता महसूस कर रही है। इसी पेयजल निगम में कई और अधिकारी ऐसे बताये जा रहे हैं जो कि भ्रष्ट हैं और राज्य को शर्मसार भी कर रहे हैं।