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दिल्ली में विधानसभा चुनावों की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज होता जा रहा है। दिल्ली के दंगल में गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। अमित शाह ने अपने हालिया ट्वीट में दिल्ली में सरकारी स्कूल की स्थिति को लेकर केजरीवाल सरकार के दावों पर सवालिया निशान लगाया है। अब गेंद केजरीवाल के पाले में है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी यह दावा करती है कि उन्होंने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों पर काफी काम किया है। इसलिए अमित शाह को कुछ दिन पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सरकारी स्कूल देखने का न्योता भी दिया था। अब इसके जवाब में अमित शाह ने एक वीडियो ट्वीट किया है। इस ट्वीट में अमित शाह ने लिखा है, ‘अरविंद केजरीवाल जी आपने मुझे दिल्ली सरकार द्वारा संचालित स्कूल देखने के लिए बुलाया था। कल दिल्ली बीजेपी के आठों सांसद अलग-अलग स्कूल में गए और देखिए इनका क्या हाल है… इनकी बदहाली ने आपकी शिक्षा की क्रांति के दावों की पोल खोल दी। अब आपको दिल्ली की जनता को जवाब देना होगा।’
अमित शाह द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो में मनोज तिवारी, डॉ हर्ष वर्धन, विजय गोयल, प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, रमेश विधूड़ी, मीनाक्षी लेखी, गौतम गंभीर, हंसराज हंस अलग-अलग स्कूलों का जायजा लेते नजर आ रहे हैं। वीडियो में इन स्कूल के बच्चों के भी बयान शामिल किए गए हैं। वीडियो में जो स्कूल दिखाए गए हैं, उनकी स्थिति वाकई दयनीय है। अब गेंद केजरीवाल के पाले में है। देखते हैं कि अमित शाह के दाव का वह क्या जवाब देते है।
गौरतलब है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी का मतदान होने जा रहा है। 11 फरवरी को मतगणना है। हर पार्टी ये दावा कर रही है कि इस बार दिल्ली में उनकी सरकार बनने जा रही है। हालांकि, जनता का मूड क्या है यह 11 फरवरी को परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।
भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा का विवादित बयान
दिल्ली में चुनाव प्रचार के बीच पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा एक विवादित बयान देकर चर्चा में आ गए हैं। अब उन्होंने कहा है- जब दिल्ली में मेरी(भाजपा) सरकार बनेगी, तब 11 फरवरी के बाद एक महीने के भीतर मेरी लोकसभा में जितनी मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी हैं, उनमें से एक भी मस्जिद नहीं छोड़ूंगा। सारी मस्जिद हटा दूंगा। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है, जब प्रवेश वर्मा ने सरकारी जमीनों पर बनी मस्जिदों को हटाने की बात कही है। इससे पहले भी वह इस बात को दोहरा चुके हैं।