
शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): हिमाचल स्वास्थ्य निदेशालय में एक अधिकारी के फोन पर पांच लाख रुपये की घूस के लेन-देन की बातचीत के वायरल ऑडियो मामले में विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। इसकी जांच विशेष जांच इकाई (एसआईयू) को दे दी गई, जिसने पूछताछ में जांच में सहयोग न करने पर बुधवार देर रात स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एके गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद गुरुवार को कोर्ट में पेश करने से पहले निदेशक को मेडिकल चेकअप के लिए आईजीएमसी लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत ठीक न होने पर भर्ती कर लिया। हालांकि बाद में उसे कोर्ट में पेश किया गया, जहां से 5 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। हालांकि गुप्ता को हेडक्वार्टर शिमला फिक्स किया गया है।
सूत्रों के अनुसार मामले में राजनीतिक दल के एक वरिष्ठ नेता की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। ऐसे में सरकार जांच कराने को लेकर असमंजस में थी, लेकिन ऑडियो वायरल होने से सरकार की मुश्किलें और बढ़ गईं, जिसके बाद सरकार ने जांच के आदेश जारी कर दिए। पूछताछ में निदेशक ने यह मान लिया है कि वायरल ऑडियो में उसकी आवाज है, लेकिन पैसों के लेन-देन में उसे कोई जानकारी नहीं है। मामला दर्ज होने के बाद एसपी एसआईयू शालिनी अग्निहोत्री की निगरानी में एक टीम ने गुप्ता के घर और कार्यालय में दबिश देकर दस्तावेजों को भी कब्जे में ले लिया।
बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के लाखों के लेन-देन का एक ऑडियो वायरल हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान ने जांच विजिलेंस को सौंप दी। कोरोना के चलते स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों की खरीदारी हो रही है। अब मामले में टीम उस व्यक्ति की तलाश में जुट गई है जिससे गुप्ता की बात हो रही थी और जिससे पैसे लेने की बात हुई बताई जा रही है।
विजिलेंस की नजर पिछले दो महीने की हर खरीद पर है। इसमें एक ऑडिट टीम की मदद ली जा सकती है, ताकि वित्तीय गड़बड़ी का सटीक पता लगे। साथ ही निदेशक की आवाज के सैंपल लेने के लिए भी ब्यूरो ने कवायद शुरू कर दी है।
स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एके गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। उनकी जगह संयुक्त निदेशक हेल्थ डॉ. भारत भूषण कटोच को स्वास्थ्य निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है।
आरोपी ने 31 मई को रिटायर होना था। उधर, सरकार ने विजिलेंस जांच के बाद अब विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं। कोरोना के चलते इन दिनों जो भी खरीद फरोख्त की गई है, सरकार ने उसके दस्तावेज मांगे हैं।