वीएस चौहान की रिपोर्ट

देहरादून का खंलगा स्मारक प्रकृति की गोद में जंगल के बीच में है। जहां से एक तरफ ऊंचे ऊंचे वृक्षों का घना जंगल दिखाई देता है। तो दूसरी तरफ दून घाटी  का नजारा दिखाई देता है।यहां  खंलगा स्मारक सहस्त्रधारा रोड की तरफ से भी पहुंच सकते हैं ।रायपुर रोड की तरफ से भी पहुंच सकते हैं।रायपुर रोड से तपोवन होते हुए नालापानी से टेढ़े मेढ़े रास्ते से ऊपर चढ़ाई चढ़ते हुए ऊंचे ऊंचे वृक्ष वाले जंगल के बीच से  खलंगा स्मारक तक पहुंचते हैं। खलंगा स्मारक गोरखा  सैनिकों की बहादुरी की एक मिसाल यादगार के रूप में है।

अक्टूबर 1814 में  बहुत कम संख्या में गोरखा सैनिक उनके परिवार और बच्चों ने बहुत अधिक संख्या में ब्रिटिश सैनिकों का डटकर सामना किया था।उस समय खलंगा फोर्ट पर ब्रिटिश इन्फेंट्री की 3 डिवीजन  के लगभग 3500  सैनिकों ने आक्रमण किया था। उसमें उनके पास उस जमाने की आर्टलरी बंदूकें और युद्ध करने के लिए बहुत सारे हथियार थे उस समय  मेजर जनरल राॅबर्ट  गैलेपसी  के नेतृत्व में आक्रमण करके  खलंगा फोर्ट पर कब्जा करना चाहते थे। नालापानी खलंगा फोर्ट की रक्षा करने के लिए उस वक्त बलभद्र थापा के साथ मात्र 500 सैनिक थे।उस समय  बलभद्र थापा के साथ 500 सैनिकों और उनके परिवार और बच्चों ने मिलकर नालापानी खलंगा फोर्ट की रक्षा के लिए उन 3500 सैनिकों का डटकर सामना किया। उस वक्त उनके पास धनुष, खुखरी, पत्थरों से राबर्ट गैलेपसी की सेना का डटकर सामना किया। और राबर्ट गैलेपसी  का नालापानी खलंगा पर कब्जा करने के ख्वाब को तोड़ दिया। इस लड़ाई में बलभद्र थापा के 36 सैनिक मारे गए और 35 घायल हुए लेकिन दूसरी तरफ ब्रिटिश सैनिक 750 मारे गए  और  1500 घायल हुए घायल हुए।