शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम):  बुधवार को जिला कोर्ट चक्कर में सुनवाई के दौरान विजिलेंस ब्यूरो की ओर से इस नई जानकारी को विजिलेंस की ओर से जिला न्यायवादी संदीप अत्री ने कोर्ट को अवगत कराया। साथ ही यह भी बताया कि विजिलेंस को सवालों का मित्रा सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त पार्थ सारथी मित्रा से जुड़े धारा 118 की मंजूरी में हुए भ्रष्टाचार के मामले में विजिलेंस के हाथ बड़े सुबूत लगे हैं। अब तक की जांच में मित्रा द्वारा कई डील किए जाने और उनमें मोटी रकम लेने की बात सामने आई है। सबूत मिले हैं कि शिमला के एक होटल में हुई डील के बाद 10 लाख रुपये दिल्ली के एक रिजार्ट मालिक ने दिए और फिर लंबे समय से अटकी उसकी 118 की फाइल को अगस्त 2010 के आखिरी हफ्ते में क्लीयरेंस मिल गई। अब तक मिले वॉयस सैंपल की फॉरेंसिक रिपोर्ट में आवाजों का मिलान से भी यह जानकारी पुष्ट हो रही है। यह भी पता चला है कि लेनदेन की बातचीत के लिए मित्रा जो फोन इस्तेमाल करते थे, वह मामले के नामजद अभियुक्त और एजेंट के बेटे का है। इन नए तथ्यों के सामने आने के बाद पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त पी मित्रा की मुश्किलें बढ़ना तय हैं। ऐसे में इन सभी तथ्यों के आधार पर मित्रा का पॉलीग्राफी टेस्ट करवाना जरूरी है। नए तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने मित्रा को 28 सितंबर कोे अगली पेशी पर उपस्थित होने और विजिलेंस की एप्लीकेशन पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।