शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम):कुछ शिक्षक नयी पीढ़ी के भविष्य को संवारने केउद्देश्य से लगातार अपने काम में लगे हैं। ऐसेअनेकों शिक्षकों को जोकि पर्दे के पीछे रहकरकाम करते हैं और किसी भी प्रकार के नाम औरप्रतिष्ठा से दूर रहते हैं। उन शिक्षकों में माला थापाभी एक नाम है। माला थापा इन दिनों अनाडेलस्कूलंबे बतौर शिक्षक अपनी सेवायें दे रही है।वह मूलतः कोटखाई के खनेटी की रहने वाली हैऔर पिछले 14 वर्षोंसे अध्यापन कार्य कर रहीहैं। माला ने जब अध्यापन प्रारम्भ किया तोउन्होंने पाया कि गांव के विद्यार्थियों के लिएकक्षा समय में करवाया गया शिक्षण ही पर्याप्तनहीं है। उनके लिए अतिरिक्त समय देने कीजरूरत है। ऐसे में माला थापा ने स्कूल समय केअतिरिक्त विद्यार्थियों को देना प्रारम्भ कर दिया।इससे पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को मद्दमिलने लगी। इतना ही नहीं जो अभिभावकअपने बच्चों के लिए ट्युशन की व्यवस्था नहींकर पा रहे थे उनके लिए उनका यह कामविशेषरूप से सहायक सिद्ध हुआ। उनकोअतिरिक्त कक्षा लेते हुए लंबा समय हो गया है।अनाडेल स्कूल में ही अतिरिक्त कक्षाओं को लेनेके कारण पिछले 4 सालों से लगातार एसएमसीरजिस्टर में भी लिखित प्रस्ताव का रिकाॅर्ड है।मालाथापा ने आर्थिक रूप से विपन्न विद्यार्थियोंकी सहायता भी की है। अगर किसी विद्यार्थी कीवर्दी फट जाती है या फिर फीस देने में कोईअसमर्थता दिखती है तो माला थापा ऐसेविद्यार्थियों की सहायता करती ही रही है। उनकीयह सेवा अनवरत चल रही है। उनका कहना हैकि किसी भी प्रकार की प्रसिद्धि से दूर रहनापसंद करती है यहां तक कि उनका ध्यान केवलअपने काम तक ही सीमित रहता है। उनकाकहना है कि मैं जीवन में एक ही मंत्र को अपनाध्येय मानकर चलती हुं और वो वो है कि खुदकुछ न कहो लेकिन आपका किया काम स्वतःबोलता है’’।