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चंडीगढ़ ,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): पंजाब में नशाखोरी को जड़ से ख़त्म करने के लिए स्पैशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और जि़ला पुलिस ने पुलिस मुलाजि़मों और नशा तस्करी के दरमियान गठजोड़ का पता लगाने के लिए प्रभावशाली कदम उठाए हैं। अप्रैल 2017 से लेकर 30.04.2020 तक, कुल 114 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें 148 पुलिस मुलाजि़मों और विभागीय जाँच के उपरांत 61 पुलिस मुलाजि़मों के खि़लाफ़ कार्यवाही आरंभ की गई है। इसके अलावा अब तक 47 पुलिस मुलाजि़म बखऱ्ास्त किए गए हैं और 17 को निलंबित कर दिया गया है।

इस सम्बन्धी जानकारी देते हुए स्पैशल टास्क फोर्स के चीफ़-कम-एडीजीपी हरप्रीत सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व अधीन नशों के खि़लाफ़ चल रही मुहिम के दौरान राज्य सरकार की नीति है कि ऐसे सभी तत्वों और तस्करों के खि़लाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाए। उन्होंने बताया कि पुलिस ने साल 2017 में 37 मामलों में 18.46 करोड़ रुपए, 2018 में 37 मामलों में 11.37 करोड़ रुपए, साल 2019 में 50 मामलों में 37.69 करोड़ रुपए और 31.03.2020 तक के 11 मामलों में 1.68 करोड़ रुपए की संपत्ति ज़ब्त की है। इसके अलावा सम्बन्धित अथॉरिटी के पास तकरीबन 20.5 करोड़ रुपए की जायदाद की कुर्की वाले 58 मामले विचाराधीन हैं।

उन्होंने आगे कहा कि अप्रैल 2017 में एसटीएफ द्वारा कार्यवाही शुरू करने के बाद लॉ एनफोर्समैंट एजेंसियों ने 1376 किलो हेरोइन, 1515 किलो अफ़ीम, 124728 किलो भुक्की, 6053 किलो गाँजा और 2,74 33119 नशीली गोलियाँ / कैप्सूल समेत कई करोड़ों रुपए की ड्रग मनी बरामद की है। एसटीएफ के प्रमुख ने खुलासा किया कि लॉ एनफोर्समैंट एजेंसियों ने 2017 से 31.03.2020 तक एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत 580 भगौड़े, 1885 फऱार, 125 ज़मानत, पैरोल पर 106 अपराधियों को भी गिरफ़्तार किया है। साल 2017 में एनडीपीएस एक्ट के मामलों में मुलजि़मों को सज़ाएं देने में 68 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है। 2018 के दौरान कुल सज़ा की दर 59 प्रतिशत, साल 2019 में 64 प्रतिशत और 31.03.2020 तक 31 प्रतिशत रही है।

उन्होंने आगे कहा कि एस.टी.एफ. के थानों की सज़ा दिलाने की दर 100 फ़ीसदी है जो कि अपने आप में एक बड़ी मिसाल है। इस सम्बन्ध में राज्य, रेंज पुलिस और जि़ला पुलिस के स्तर पर सख़्त प्रशिक्षण के ज़रिये पुलिस अधिकारियों के जांच के हुनर को बेहतर बनाने के लिए एक निरंतर यत्न भी किए जा रहे थे। नार्कोटिक ड्रग्ज़ एंड साईकोट्रोपिक सबस्टैंटस एक्ट, 1988 (पीआईटी एनडीपीएस, एक्ट) के अंतर्गत नशा तस्करों के खि़लाफ़ रोकथाम सम्बन्धी कार्यवाहियां करने के लिए पुलिस कर्मचारियों को एसटीएफ द्वारा प्रशिक्षण भी दिया गया था। सिद्धू ने और विस्तार में बताया कि तीन सालों के दौरान 180 विदेशी नागरिकों के विरुद्ध 147 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 2017 में 61, 2018 में 81, 2019 में 37 और इस साल अब तक 1 विदेशी नागरिक को गिरफ़्तार किया गया।

 

उन्होंने बताया कि गिरफ़्तारियों से यह पता लगता है कि दिल्ली नशों की तस्करी का एक बड़ा केंद्र बन गया है, जहाँ से विदेशी नागरिक पंजाब में नशा सप्लाई करते आ रहे हैं। एसटीएफ के प्रमुख ने आगे कहा कि पंजाब क्षेत्र में भारत-पाक सरहद के हर तरफ़ चौकसी बढ़ाने और पुलिस द्वारा प्रभावशाली ढंग से लागू किए जाने के कारण तस्करों ने तस्करी के रास्ते बदल दिए हैं। उन्होंने कहा कि नशा तस्करों के कई नए समुद्री मार्गों, हवाई मार्गों और ज़मीनी मार्गों का पता लगाया है, जिनमें से बहुत से कानूनी व्यापार और वाणिज्य के अधीन थे। एसटीएफ द्वारा जनवरी 2020 में 64 किलोग्राम अन्य नशीले पदार्थों और एक नाजायज़ लैबोरेटरी में से छह केमिकल ड्रम्मों समेत 197 किलो हेरोइन की बरामदगी अकाश विहार, अमृतसर में एक घर से की गई, जिससे अंतरराष्ट्रीय हेरोइन की सप्लाई का पर्दाफाश किया गया। इसके साथ ही नशा तस्करों द्वारा गुजरात से समुद्री रास्ते से पंजाब में हेरोइन तस्करी करने की नई कोशिशों का खुलासा भी किया गया। एसटीएफ ने सिमरनजीत सिंह संधू निवासी रणजीत एवैन्यू, अमृतसर के मुख्य केंद्र के तौर पर पहचान की है, जिसके पास से 197 किलो हेरोइन बरामद हुई है।

एसटीएफ के प्रमुख ने बताया कि पिछले साल कस्टम विभाग ने अटारी सरहद के द्वारा पाकिस्तान से आयात किए गए सेंधा नमक की खेप में छुपाई हुई 532 किलो हेरोइन बरामद की थी। इस मामले में एक रणजीत सिंह उर्फ राणा उर्फ चीता निवासी गाँव हवेलियां, जि़ला तरनतारन और उसके भाई को 9 मई को एनआईए और पंजाब पुलिस की साझी टीम द्वारा सिरसा, हरियाणा से गिरफ़्तार किया गया है, जो कि आईसीपी अटारी में बरामद किए गए 532 किलो हेरोइन की खेप में अहम मुलजि़म थे। रणजीत सिंह उर्फ राणा के एक दूसरे भाई को इससे पहले साल 2019 में पठानकोट से एसटीएफ ने 1.02 करोड़ रुपए की ड्रग मनी और हेरोइन समेत गिरफ़्तार किया था।
श्री सिद्धू ने खुलासा किया कि एसटीएफ ने कुछ क्षेत्रों में ड्रग हॉटस्पॉटों की पहचान की है। एसटीएफ ने महत्वपूर्ण हॉटस्पॉटों के ख़ात्मे के लिए एक व्यापक और एकीकृत योजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य सीएडीए रणनीति के सभी पहलुओं को लागू करने के साथ-साथ नागरिक सुविधाओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। यह प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा गया है और इस पर कार्यवाही की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सीएडीए प्रोग्राम को लागू करने सम्बन्धी फीडबैक एकत्रित करने और इसकी निगरानी करने संबंधी रेंज आईजीपीज़ / डीआईजीज़, डीसीज़, एसएसपीज़ और एसटीएफ अधिकारियों समेत फील्ड अधिकारियों द्वारा बाकायदा दौरे किए जा रहे हैं। डीसी के नेतृत्व वाली जि़ला मिशन टीमें और एसडीएम के नेतृत्व वाली सब डिविजऩ मिशन टीमें ज़मीनी स्तर पर सीएडीए प्रोग्रामों सम्बन्धी तालमेल करने के लिए सक्रियता से शामिल हैं। इसके अलावा, एनसीबी, बीएसएफ और पड़ोसी राज्यों के साथ अलग तौर पर तालमेल मीटिंगें भी की जा रही हैं, जिससे नशों की तस्करी के विरुद्ध साझी रणनीति बनाई जा सके और इसके नतीजे के तौर पर सहयोग और तालमेल में सुधार हुआ है।