बड़े अधिकारी व जांच एजेंसी को दे रहा है चकमा
ऐसे लापरवाह व भ्रष्ट अधिशासी अभियन्ता के भरोसे उत्तराखण्ड पेयजल निगम
मानदेव क्षेत्री
देहरादून। भ्रष्टाचारों में लिप्त व निलंम्बित अधिशासी अभियंता पेयजल निगम सुजीत कुमार विकास को प्रधान कार्यालय उत्तराखण्ड देहरादून के पत्रांक 472/प्रानि कैम्प-पीएफ एसके विकास/07 दिनांक 14.5.2018, पत्रांक 573/प्रानि कैम्प-पीएफ एसके विकास/09, दिनांक 22.6.2018 एवं पत्रांक 968/प्रानि कैम्प-पीएफ एसके विकास/11, दिनांक 29.9.2018 द्वारा योजनाओं में अनियमितताओं, सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करने, सूचना आयुक्त के निर्देशों की अवहेलना करने, उत्तराखण्ड पेयजल निगम के आदेशों की अवहेलना एवं उच्चाधिकारियों के निर्देशों का पालन न करने एवं कार्यों के प्रति लापरवाही बरतने के सम्बन्ध में आरोप-पत्र निर्गत किए गए थे, जिनका प्रत्युत्तर प्रेषित करने के लिए क्रमश दिनांक 5.6.2018, 25.06.2018 एवं 20.10.2018 की तिथि निर्धारित की गयी थी।
बताया जा रहा है कि निर्धारित समयावधि के पश्चात भी उनके द्वारा अपना प्रत्युत्तर प्रधान कार्यालय को प्रेषित नहीं किया गया। अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास द्वारा उपरोक्त निर्गत आरोप-पत्रों में से पत्र सं. 968/प्रानि कैम्प-पीएफ एसके विकास/11, दिनांक 29.09.2018 द्वारा निर्गत आरोप-पत्र के सन्दर्भ में दिनांक 20.10.2018 को ई-मेल के माध्यम से अवगत कराया गया कि उनकी तबियत खराब होने के कारण अभी मेडिकल लीव में हॅू। स्वास्थ्य ठीक होने के उपरांत ऑफिस ज्वाईन करने के पश्चात वह आरोप-पत्र का उत्तर प्रेषित करेंगे। जिस प्रधान कार्यालय, देहरादून द्वारा अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास को निर्गत तीनों आरोप-पत्रों के प्रत्युत्तर प्रेषित करने के लिए पत्रांक 1031/प्रानि कैम्प-पीएफ विकास/12, दिनांक 26.10.2018 से उन्हें अन्तिम अवसर प्रदान करते हुए दिनांक 05.11.2018 तक प्रत्येक दशा में अपना प्रत्युत्तर प्रेषित करने तथा प्रधान कार्यालय के पत्र सं. 1032/प्रनि कैम्प-पीएपफ विकास/13, दिनांक 26.10.2018 से उन्हंे यह अवगत कराते हुए की इस अवधि में वह देहरादून के कतिपय कार्यालयों तथा मंत्री पेयजल के आवास पर उपस्थिति पाए गए है।
बताया जा रहा है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक देहरादून के स्तर से परिक्षणोंपरांत अपनी मेडिकल एग्जामिनेशन रिपोर्ट अविलम्ब प्रेषित करने के लिए निर्देशित किया गया था। उक्त पत्र उनकी व्यक्तिगत तीन ई-मेल आईडी पर प्रेषित किए गए। साथ ही उनको तैनाती कार्यालय, स्थानीय एवं मूल निवास के पते पर पंजीकृत डाक द्वारा भेजे गए आरोप-पत्रों को डाक विभाग, भारत सरकार की बैवसाईट पर भी ट्रक किया गया, जिससे स्पष्ट हुआ है कि सभी आरोप-पत्र उनके द्वारा प्राप्त किए गए है। अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास का स्थानांतरण प्रशासनिक आधर पर दिनांक 22.06.2018 को निर्माण शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, मुनिकीरेती से निर्माण शाखा, उत्तराखण्ड पेयजल निगम, कर्णप्रयाग में किया गया था, परंतु उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण न करने के फलस्वरूप उक्त आदेश में संशोधन करते हुए दिनांक 26.09.2018 को उनका स्थानांतरण कार्यालय मुख्य अभियंता (गढ़.), उत्तराखण्ड पेयजल निगम, पौडी में करने पर उनके द्वारा आदेशों की अवहेलना करते हुए अत्याधिक विलम्ब से दिनांक 7.01.2019 को कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत उक्त तिथि को ही 2 दिन के आकास्मिक अवकाश का आवेदन देकर प्रस्थान करने के उपरांत आजपयंत भी उक्त कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए है। इससे स्पष्ट है कि अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास को समुचित समय दिए जाने के उपरांत भी उनके द्वारा प्रधान कार्यालय से प्रेषित किसी भी आरोप-पत्र का प्रत्युत्तर नहीं दिया गया है तथा मात्र एक ई-मेल के माध्यम से अपनी अस्वस्थता की सूचना दी गई थी। बताया जा रहा है कि सुजीत कुमार विकास को निर्देशित किए जाने के उपरांत भी उनके द्वारा अपनी अस्वस्थता के सम्बन्ध में मेडिकल एक्जामिनेशन रिपोर्ट वर्तमान तक भी प्रेषित नहीं की गई है। जिससे स्पष्ट है कि उन पर लगाए गए आरोपों के सम्बन्ध में उन्हें अपनी प्रतिरक्षा में कुछ नहीं कहना है। तथा समस्त आरोप उनके द्वारा परोक्ष रूप से स्वीकार्य है। बताया जा रहा है कि सुजीत कुमार विकास को निर्गत समस्त आरोप पत्रों में अधिकतर आरोप अत्यन्त गंभीर प्रकृति के है। तथा उनके द्वारा अपनी प्रतिरक्षा में किसी भी आरोप का स्पष्टीकरण/प्रतिउत्तर प्रेषित नहीं किया गया हैं, अथवा उनके पास लगाए गए आरोपों को खंडित करने के लिए कोई भी तथ्य/साक्ष्य उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में सुजीत कुमार विकास के विरूद्ध गम्भीर आरोपों के अंतिम रूप से स्थापित होने की दशा में उन्हें दीर्घ शास्ति दी जा सकती है। उक्त के अतिरिक्त विशेष रूप से यह भी उल्लेखनीय है कि अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास के विरूद्ध आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित किए जाने विषयक खुली जांच सं. 26/2018 सतर्कता अधिष्ठान, देहरादून में प्रचलित है तथा पुलिस अधीक्षक, सतर्कता अधिष्ठान के स्तर से उनसे सम्बन्धित सूचनाएं समय-समय पर मांगी जा रही है, जोकि उन्हें यथा सम्भव उपलब्ध करा दी गयी है।
बताया जा रहा है कि सुजीत कुमार विकास के स्वयं के स्तर से दी जाने वाली परिसम्पत्ति विषयक प्रपत्र-6 की सूचना उन्हें प्रधान कार्यालय के पत्रांक 1063/प्रनि कम्प-गोज सुजीत कुमार अअ/5, दिनांक 15.11.2018 द्वारा अवगत कराए जाने के उपरांत भी सुजीत कुमार विकास द्वारा उपलब्ध नहीं करायी गई है। सूचना उपलब्ध न कराए जाने के कारण सतर्कता अधिष्ठान के पत्रांक सअ-खुली-26/2018/103, दिनांक 14.01.2019 द्वारा प्रधान कार्यालय को अनुस्मारक पत्र प्रेषित किया गया है, जिससे एक ओर जहां सुजीत कुमार विकास द्वारा मनमानी करने के कारण विभागीय छवि धूमिल हो रही है। वहीं दूसरी ओर विकास द्वारा सतर्कता अधिष्ठान के स्तर से की जा रही। बताया जा रहा है कि खुली जांच में सहयोग न किया जाना स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता हैं सतर्कता अधिष्ठान द्वारा की जा रही इस खुली जांच में सहयोग न करने से विकास की सत्यनिष्ठा पर स्वतः ही प्रश्नचिन्ह लग जाता है। बताया जा रहा है कि खुली जांच में लगाए गए आरोपों की पुष्टि की स्थिति में उनके विरूद्ध गंभीर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। इन समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उत्तराखण्ड पेयजल निगम कार्मिक (अनुशासन एवं अपील) विनियमावली, 2017 की धारा 4(1) के अधीन अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास को तत्काल प्रभाव से एतद् द्वारा निलम्बित किया जाता हैं। बताया जा रहा है कि नितलम्बन की अवधि में अधिशासी अभियंता को वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2, भाग-2 से 4 के मूल नियम-53 के प्राविधनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्द्ध वेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी तथा महंगाई भत्ता, यदि ऐसे अवकाश वेतन पर देय है, भी अनुमान्य होगा, किन्तु ऐसे अध्किारी को जीवन निर्वाहन भत्ते के साथ कोई महंगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हें निलम्बन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ महंगाई भत्ता अथवा महंगाई भत्ते का उपांतिक समायोजन प्राप्त नहीं था। बताया जा रहा है कि निलम्बन के दिनांक को प्राप्त वेतन के आधर पर अन्य प्रतिकर भत्ते भी निलम्बन की अवधि में इस शर्त पर देय होंगे। जब इसका समाधन हो जाये तो उनके द्वारा उस मद में व्यय वास्तव में किया जा रहा है, जिसके लिए उक्त प्रतिकर भत्ते अनुमन्य है। बताया जा रहा है कि निलम्बन की अवधि में अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास द्वारा अपनी उपस्थिति कार्यालय की बायोमैट्रिक मशीन में अंकित की जानी होगी जिसका रिकार्ड मुख्य अभियंता (गढ़वाल) द्वारा रखा जायेगा।
भ्रष्टाचारी/निलंबित अधिशासी अभियंता सुजीत कुमार विकास की जिद बनी अधिकारियों के लिए सरदर्द
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