शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): हिमाचल के मंडी के बल्ह में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का ड्रीम प्रोजेक्ट पूरा करना सरकार के लिए चुनौती से कम नहीं होगा। ओएलएस की सर्वेक्षण रिपोर्ट बड़ा हवाई जहाज उतारने की कवायद में चिंता बढ़ाने वाली हो सकती है। सर्वे में वर्तमान भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक बल्ह में चिह्नित साइट 2150 मीटर रनवे के लिए ही प्रयुक्त बताई गई है। यहां केवल एटीएस-72 सीटर छोटा हवाई जहाज ही उतर सकता है। बड़ा हवाई जहाज उतरने की भी संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए 3150 मीटर हवाई पट्टी की जरूरत होगी। सर्वे के अनुसार यह तभी संभव होगा, जब सुंदरनगर की पहाड़ियां (बंदली धार) को 500 मीटर तक काटा जाए। हालांकि सरकार ने 3150 मीटर रनवे के हिसाब से जमीन के अधिग्रहण की कवायद शुरू कर दी है। वीरवार को बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति की बैठक में ओएलएस के सर्वे का खुलासा करते हुए हवाई अड्डा को जाहू में बनाने के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया। बैठक में परस राम, प्रेम दास चौधरी, भवानी सिंह, भगीरथ, प्रदीप कुमार, हरी राम चौधरी, गुलाम रसूल, चुनी लाल सहित अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद रहे। एसडीएम आशीष शर्मा ने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार कार्य किया जा रहा है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए अध्यक्ष जोगिंद्र वालिया और सचिव नंद लाल शर्मा ने कहा कि सरकार को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट जाहू में बनाना चाहिए। यहां बिना पहाड़ काटे कम लागत से, बिना किसानों को उजाड़े 3150 मीटर हवाई पट्टी का निर्माण किया जा सकता है। 72 सीटर हवाई जहाज के लिए तो मंडी जिले में ही नंदगढ़, ढांगसीधार, मौवीसेरी आदि उपयुक्त जगह है। जाहू में 80 फीसदी सरकारी जमीन उपलब्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेज कर प्रस्ताविक हवाई अड्डे को जाहू में बनाए जाने की मांग की गई। सचिव ने बताया कि नेरचौक से भुंतर हवाई अड्डे की आकाशीय दूरी 30 किलोमीटर है। शिमला हवाई अड्डा करीब 50 किलोमीटर है और गगल हवाई अड्डा भी करीब 50 किलोमीटर है, अगर बल्ह में हवाई अड्डे का निर्माण होता है तो ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट पॉलिसी का उल्लंघन होगा।