वीएस चौहान की रिपोर्ट

कोरोना वायरस के कारण दुनिया में एक बदलाव आया है। एक तरफ जहां लोगों के रोजगार के साधन कम हुए वहीं दूसरी तरफ  लोगों ने  बेरोजगारी से  निबटने के लिए  रोजगार के  नए नए साधन खोजना शुरू कर दिए।इसमें  सरकार की तरफ से भी  नई नई योजनाएं  लाई जा रही हैं। ताकि  कोरोना वायरस के चलते  जो लोग डाउन रहा  उसमें  बहुत सारे लोगों के छोटे-छोटे रोजगार बंद हो गए आज के समय में फिर से नए रोजगार के साधनों को शुरू करने की आवश्यकता है।ऐसे में  और रोजगार के साधनों में से एक रोजगार का साधन मत्स्य पालन भी है।जिसमें  कोई भी व्यक्ति  गांव में जमीन लेकर  मत्स्य पालन का कार्य शुरू कर सकता है जिस व्यक्ति की निजी  जमीन है  मत्स्य पालन के लिए  सरकार की तरफ से कम दरों पर  लोन की व्यवस्था है। रोजगार शुरू करने के लिए  सरकार द्वारा दिए गए कर्ज में  छूट भी दी गई है।ऋण के साथ सरकार द्वारा अनुदान राशि की व्यवस्था भी है मत्स्य पालन का कार्य शुरू करने से पहले  सरकार की तरफ से इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए  एक ट्रेनिंग की व्यवस्था भी है। आमतौर पर  मछली  दूसरे प्रदेशों से आती हैं।  दूर से आने के कारण  कई बार  कई दिन भी हो जाते हैं।  ऐसे में  अपने ही क्षेत्र में  मछली पालन करने से मछली खाने वाले लोगों के लिए  ताजा मछली उपलब्ध हो सकती है।मत्स्य विभाग के सहायक  निदेशक हरिद्वार अनिल कुमार के मुताबिक जिन दिनों लॉकडाउन था। उन दिनों मछली को बेचने के लिए शहर गांव के मोहल्ले तक पहुंचाने के लिए एक प्रयोग किया गया। उसमें मछली एक छोटी गाड़ी द्वारा हर मोहल्ले में पहुंचाई गई ।और भेजी गई यह प्रयोग भी काफी सफल रहा सरकार द्वारा मत्स्य विभाग के  सहायक निदेशक हरिद्वार   अनिल कुमार के मुताबिक मत्स्य पालन के साथ-साथ मछली के अलग-अलग प्रकार के डिश तैयार की जाने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। उसमें मछली के चिप्स हो सकते हैं। मछली का अचार हो सकता है। इसी प्रकार और कई अन्य डिश हो सकती हैं अब तक हम आलू के चिप्स खाते हैं ।यदि मछली के चिप्स होंगे तो वह काफी पोस्टिक भी होंगे। जिसमें प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होगी। मच्छी पालन में महिलाएं भी अपना योगदान दे सकती हैं।और बढ़ चढ़कर हिस्सा ले सकती हैं। मच्छी पालन के लिए मत्स्य विभाग की जहां-जहां सेंटर है।वहां पर आसान तरीकों द्वारा मत्स्य पालन के इच्छुक लोगों को जानकारियां दी जा रही है।