हरिद्वार, इन दिनों लाकडाउन के कारण देश भर के अधिकांश लोग अपने-अपने घरों में है। और समय का चक्र अपनी गति से चल ही रहा है। इस लाकडाउन की अवधि को अनेक लोग सुयोग के रूप में देख रहे हैं और अपनी प्रतिभा परिष्कार के लिए विविध कार्य योजनाओं को पूरा करने में जुटे हैं। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई आनलाइन कर रहे हैं, तो वहीं युवा वर्ग भी आनलाइन अपनी तैयारी जुटे हैं।
इस लाकडाउन के अवसर का सदुपयोग करते हुए शांतिकंुज की बहिनें संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी के मार्गदर्शन में अपनी प्रतिभा परिष्कार में जुटी हैं। शांतिकंुज की अनेक बहिनें इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग द्वारा तैयार किये विभिन्न वीडियो कैप्सूल के माध्यम से पौरोहित्य एवं संभाषण कला सीख रही हैं, तो वहीं कई बहिनें सिलाई, कढाई में भी अपना अधिकांश समय लगा रही हैं। यहां बता दें कि गायत्री तीर्थ के कार्यकत्र्ता एवं बच्चों के लिए सिलाई विभाग एवं बहिनों द्वारा तैयार की गये मास्क का ही प्रयोग कर रहे हैं।
संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी का कहना है कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा व माता भगवती देवी शर्मा ने साठ के दशक से ही नारियों को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में कार्य प्रारंभ कर दिया था। यही कारण है कि गायत्री परिवार से जुड़ी देश-विदेश की हजारों, लाखों बहिनंे विभिन्न संस्कारों, पौरोहित्य से लेकर प्रवचन तथा प्रज्ञा पुराण की कथा में माहिर हो गयी हैं। इनमें पढ़ी लिखी बहिनों के अलावा कम पीढ़ी लिखी बहिनें भी शामिल हैं। भाइयों ने भी संगीत, लेखन आदि रचनात्मक व सृजनात्मक कार्यक्रमों को अपने-अपने घरों से पूरा करने में जुटे हैं। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डाॅ प्रणव पण्ड्या भी समय-समय पर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से इन लोगों का मार्गदर्शन करते हैं।