देहरादून: जिलाधिकारी डाॅ आशीष कुमार श्रीवास्तव ने वीडियोकान्फ्रेसिंग के माध्यम से वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम को लेकर उप जिलाधिकारियो, खण्ड विकास अधिकारियों के साथ बैठक का आयोजन किया गया। ग्रीष्मकाल के दौरान वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम को लेकर वन विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा युद्धस्तर पर कार्यवाही शुरू कर दी गई हैं जिलाधिकारी ने उप जिलाधिकारियों एवं खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि अपने-अपने क्षेत्रों के ग्राम प्रधानों, वन पंचायत प्रमुखों के साथ आवश्यक बैठक कर जंगलों में लग रही आग की रोकथाम हेतु आवश्यक विचार-विमर्श करें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक रूप से लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग सजग है जबकि शरारती तत्वों द्वारा लगाई जा रही आग के लिए ऐसे लोगों पर आईपीसी के तहत् मुकदमा दर्ज करवाएं और लोगों को वनों में आग न लगाने हेतु जागरूकता अभियान चलाएं। उन्होंने बताया कि शरारती तत्वों के सम्बन्ध में सूचनाएं एवं सबूत देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानों एवं वन पंचायत प्रमुखों को पत्र भेजा जाए ताकि लोेगों को वनों में लगने वाली आग से होने वाले नुकसान से अवगत कराया जाए उन्होंने कहा कि जिन गावों के सीमान्तर्गत आग की घटना नही होगी वहां के प्रधानों एवं वन पंचायत प्रमुखों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आग लगने की सूचना कन्ट्रोलरूम आपदा प्रबन्धन केन्द्र को तत्काल दी जाए। उन्होंने खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि जंगल और आबादी जहां आकर मिलती है ऐसे स्थानों पर मनरेगा के तहत खाई ट्रेन्जेज का निर्माण किया जाए, जिससे पानी रिचार्ज के साथ ही जंगली जानवर भी गांव-गांव तक नही पंहुच सकेंगे। उन्होंने कहा कि आग बुझाने हेतु उपकरणों की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाय। उन्होंने समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में वनाग्नि की रोकथाम हेतु जनजागरूकता कार्यक्रम भी चलायें। इसके अलावा उन्होंने खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि गांव तक सन्देश पंहुचाऐं ताकि कोरोना वायरस के बढ रहे मामले गावों तक न पंहुचे इसके लिए लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, जुकाम होने पर तुरन्त जांच करवाने तथा सोशल डिस्टेंसिंग मास्क एवं साफ-सफाई के साथ ही भीड़ में जाने से बचने के उपाय किए जाएं। उन्होंनें कहा कि लोग जंगलों में आग लगने से अच्छी घास उगती है जो सरासर भ्रम है ऐसे में प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वनों एवं वन्यजीव जन्तुओं की रक्षा का संकल्प लेकर वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में अपन योगदान दें।
वीडियोकान्फ्रेसिंग में प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून एवं मसूरी ने सभी उप जिलाधिकारियों एवं खण्ड विकास अधिकारियों को अवगत कराया कि अभी तक जनपद में 67 रिजर्व फारेस्ट तथा 13 सिविल वन क्षेत्र में वनाग्नि की घटनाएं प्रकाश में आई है, जिससे 120 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के लिए वन विभाग द्वारा टोलफ्री न0 18001804141 जारी किया गया है, जिस पर आग लगने की घटनाओं की सूचना दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में तापमान उच्च स्तर पर है तथा ह्यूमिनिटी कम है ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र मंे लोग पुरानी फसलों का आड़ा जला रहे है, जिससे भी जंगलों में आग की घटनाएं बढ रही हैं। उन्होंने कहा कि आड़ा जलाने के बाद उसे खुला न छोड़े तथा जंगलों में जलती बीड़ी, सिगरेट न फैंके। वीडियोकान्फ्रेंसिंग में प्रभागीय वनाधिकारी देहरादून राजीव धीमान, मसूरी कहकशा नसीम, अपर जिलाधिकारी विध्रा बीर सिंह बुदियाल, पुलिस अधीक्षक नगर सरिता डोभाल, उप जिलाधिकारी सदर गोपाल राम बिनवाल, उप जिलाधिकारी मसूरी मनीष कुमार सहित कालसी, चकराता, त्यूनी, डोईवाला रायपुर, सहसपुर क्षेत्रोें के खण्ड विकास अधिकारी उपस्थित थे।
वनाग्नि रोकथाम को डीएम ने दिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश
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