महान बल्लेबाज और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने जीवन से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है। दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को रहस्योद्घाटन किया कि पहले चयन ट्रायल के दौरान उनका चयन नहीं किया गया था, जिसने उन्हें अपने खेल पर और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।

दाएं हाथ के छोटे कद के बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने मराठी में लक्ष्मणराव दुरे स्कूल के छात्रों के साथ बात करते हुए कहा, “जब मैं छात्र था तो मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज थी, भारत के लिए खेलना। मेरी यात्रा 11 साल की उम्र में शुरू हुई थी। मुझे यहां तक याद है कि जब मैं अपने पहले चयन ट्रायल के लिए गया था तो मुझे चयनकर्ताओं ने चुना नहीं था।”

अच्छी बल्लेबाजी की, लेकिन सफलता नहीं मिली

सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा, “चयनकर्ताओं ने मुझे और कड़ी मेहनत करके खेल में सुधार करने की जरूरत है। उस समय मैं निराश था, क्योंकि मुझे लगा कि मैं अच्छी बल्लेबाजी करता था, लेकिन नतीजा उम्मीदों के अनुरूप नहीं था और मुझे नहीं चुना गया था। इसके बाद मेरा ध्यान, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत करने की क्षमता और ज्यादा बढ़ गई। अगर आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हो तो ‘शॉर्ट-कट’ से मदद नहीं मिलती।”

सचिन बोले- इन लोगों ने किया सहयोग

इस यात्रा में सहयोग करने के लिए तेंदुलकर ने अपने परिवार और कोच रमाकांत अचरेकर को श्रेय दिया,जिनका हाल ही में देहांत हो गया। सचिन ने कहा, “मेरी सफलता मुझे अपने परिवार के सभी सदस्यों की मदद से मिली। मैं अपने माता-पिता से शुरुआत करूंगा, जिनके बाद मेरे भाई अजीत और बड़े भाई नितिन ने सहयोग किया। मेरी बड़ी बहन (जो शादी के बाद पुणे में हैं) ने मेरी मदद की, बल्कि मेरी बहन ने मुझे मेरी जिंदगी का पहला क्रिकेट बल्ला भेंट किया था। शादी के बाद पत्नी अंजलि और बच्चे सारा और अर्जुन तथा अंजलि के माता-पिता ने मेरा सहयोग किया। मेरे अंकल और आंटी और कई अन्य लोग भी इसके लिए मौजूद रहे और अंत में निश्चित रूप से रमाकांत अचरेकर सर।”