नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) । सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सुझाव देते हुए कोरोना वायरस की जांच मुफ्त में कराने की व्यवस्था कराने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि प्राइवेट लैब्स को कोरोना जांच के लिए ज्यादा चार्ज वसूलने ना दें। आप एक ऐसा प्रभावशाली तंत्र बना सकते हैं जिससे कि टेस्ट के खर्चे को रीम्बर्स किया जा सके। कोरोना वायरस महामारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार महामारी के प्रसार को रोकने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सरकार की तरफ से भरोसा दिया है कि वो इस बारे में विचार करेंगे। जस्टिस अशोक भूषण और एस रवींद्र भट की पीठ को केंद्र सरकार ने बताया कि पहले हर रोज 118 लैब में 15,000 टेस्ट किया जा रहा था, लेकिन अब इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए 47 निजी लैब को भी कोरोना टेस्ट करने की अनुमति दी गई है। कोरोना टेस्ट और उसके रोकथाम में लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र को यह सुनिश्चित करे कि निजी लैब ज्यादा शुल्क न लें और सरकार कोरोना टेस्ट के रिम्बर्समेंट के लिए एक तंत्र बनाए। याचिका में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की 17 मार्च की सलाह पर भी सवाल उठाया गया है, जिसमें निजी अस्पतालों या प्रयोगशालाओं में कोरोना के परीक्षण और स्क्रीनिंग के लिए 4,500 रुपये का भुगतान करने की बात है। याचिका में यह भी कहा गया है कि अधिकारियों को देश भर में कोरोना वायरस के इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में परीक्षण किट और केंद्र सुनिश्चित करने चाहिए। भारत के 21 दिवसिय लॉकडाउन के तीसरे हफ्ते में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि कोरोनो वायरस के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 5,194 हो गई है। इनमें से 4,643 सक्रिय मामले हैं, जबकि 124 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 401 मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। महाराष्ट्र में सबसे अधिक 1,018 मामले सामने आए, उसके बाद तमिलनाडु 690 और दिल्ली में कोरोना के 576 मामले हैं