बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि रोना कमजोरी की निशानी है और शायद यही वजह है कि पुरुष तकलीफ होने पर भी आंसू बहाने और रोने से परहेज करते हैं। लेकिन साइंस की मानें तो रोने के ढेर सारे फायदे हैं। जिस तरह खुलकर हंसना सेहत के लिए फायदेमंद है, ठीक उसी तरह फूट फूट कर रोना भी बेहद जरूरी है। रोना भी आपकी सेहत को उतना ही फायदा देता है, जितना हंसना। लेकिन आखिर आप और हम रोते क्यों है? रोने और आंसू आने के पीछे की वजह क्या है? रोने के क्या-क्या फायदे हैं, यहां जानें।
शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद
रोना एक सामान्य ह्यूमन ऐक्शन है जो हमारे अलग-अलग इमोशन्स की वजह से ट्रिगर होता है। जब हम दुखी होते हैं, उदास होते हैं, किसी बात को लेकर टेंशन या स्ट्रेस में होते हैं तो इन अलग-अलग भावनाओं की वजह से रोना आ जाता है। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तों रोना आपके तन के साथ-साथ मन के लिए भी फायदेमंद है और इसकी शुरुआत तभी से हो जाती है जब बच्चा जन्म लेते वक्त पहली बार रोता है।
आंसूओं के जरिए टॉक्सिन्स निकलते हैं बाहर
एक स्टडी के मुताबिक, जिस तरह से पसीना और यूरिन जब शरीर के बाहर निकलते हैं तो शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं, वैसे ही आंसू आने पर भी आंखों की सफाई हो जाती है। आपको बता दें कि आंसू 3 तरह के होते हैं।
अनैच्छिक आंसू तब निकलता है जब आंखों में कोई कचरा, धूल के कण या धुंआ चला जाए तो आंखों से पानी आने लगता है।
बुनियादी आंसू जिसमें 98 प्रतिशत पानी होता है, यह आंखों को लुब्रिकेट रखता है और इंफेक्शन से बचाता है।
भावनात्मक आंसू जिसमें स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स की मात्रा सबसे अधिक होती है और इनका बह जाना फायेदमंद होता है।
रोने से खुद को शांत करने में मिलती है मदद
खुद को सांत्वना देने और शांत करने का बेस्ट तरीका है रोना। 2014 में हुई एक स्टडी से जुड़े अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो रोने से हमारे शरीर में पैरासिम्प्थेटिक नर्वस सिस्टम (पीएनएस) उत्तेजित हो जाता है और इसी पीएनएस की वजह से शरीर को आराम करने और डाइजेशन में मदद मिलती है। रोने के फायदे आपको तुरंत नजर नहीं आएंगे। लेकिन अगर आप कुछ देर तक आंसू बहाएं तो आपको खुद में रोने के फायदे नजर आएंगे।
रोने से दर्द होता है कम
लंबे वक्त तक रोने से ऑक्सिटोसिन और इन्डॉर्फिन जैसे केमिकल्स रिलीज होते हैं। ये फील गुड केमिकल हैं जिससे शारीरिक और भावनात्मक दोनों ही तरह के दर्द को कम करने में मदद मिलती है। एक बार जब ये केमिकल्स रिलीज हो जाते हैं तो ऐसा लगता है मानो शरीर सुन्न की अवस्था में पहुंच जाता है। ऑक्सिटोसिन हमें राहत का अहसास कराता है और इसी वजह से रोने के बाद हमारा मन शांत हो जाता है।
मूड होता है बेहतर
दर्द दूर करने के साथ-साथ रोने से आपका मूड भी बेहतर होता है और आपको बेहतर महसूस होता है। जब आप रोते हैं या सिसकियां लेते हैं तो ठंडी हवा के कुछ झोंके शरीर के अंदर जाते हैं जिससे ब्रेन का तापमान कम होता है और शरीर का तापमान भी रेग्युलेट होने लगता है। जब आपका दिमाग ठंडा हो जाता है तो आपका मूड भी बेहतर हो जाता है।
रोने से स्ट्रेस कम होता है
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया जब आप किसी इमोशनल वजह से रोते हैं तो आपके आंसूओं में स्ट्रेस हॉर्मोन्स और दूसरे केमिकल्स की मात्रा सबसे अधिक होती है। ऐसे में रोने से शरीर में इन केमिकल्स की मात्रा कम होती है क्योंकि ये केमिकल्स आंसूओं के जरिए आंखों से बह जाते हैं जिससे आपका स्ट्रेस कम होता है।
आंखों की रोशनी बनी रहती है
आंसू आंखों में मेमब्रेन को सूखने नहीं देते। इसके सूखने की वजह से आंखों की रोशनी में फर्क पड़ता है, जिस वजह से लोगों को कम दिखना शुरू हो जाता है। मेमब्रेन सही बना रहता है, तो आंखों की रोशनी लंबे समय तक ठीक बनी रहती है।
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