शिमला,शिक्षा, विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां बचत भवन में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नगर निगम शिमला के पार्षदों से शहरी गरीबों के लिए संकटकाल में शुरू की गई मुख्यमंत्री शहरी आजीविका योजना पर विस्तृत चर्चा की तथा उनके साथ गहनता से विचार विमर्श किया।
उन्होंने कहा कि यह योजना कार्य प्रदान करने के साथ-साथ कौशल विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने बताया कि इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को उस क्षेत्र का निवासी होना अत्यंत आवश्यक है। इस योजना के तहत वह नगर निगम में अपना पंजीकरण करवाएं जिसे 15 दिन के भीतर नगर निगम द्वारा रोजगार प्रदान किया जाएगा तथा योजना अनुरूप न्यूनतम दिहाड़ी प्रदान की जाएगी। यदि नगर निगम कार्य प्रदान करने में असमर्थ रहा तो 75 रुपये प्रतिदिन व्यक्ति को दिहाड़ी मिलेगी।
उन्होंने बताया कि साल में 120 दिन का गारंटीशुदा रोजगार इसके तहत प्रदान किया जाएगा और व्यक्ति यदि योजना के तहत 30 दिन निरंतर कार्य करता है तो उसे कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण व भत्ता भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां इस योजना से रोजगार प्राप्त होगा वहीं लोगों को अपने कौशल को और अधिक विकसित करने का अवसर भी मिलेगा।
उन्होंने पार्षदों से अपने-अपने क्षेत्र में लोगों का पंजीकरण करवाकर रोजगार प्रदान करने की अपील की।
उन्होंने बताया कि देशभर में हिमाचल प्रदेश ने इस योजना को सबसे पहले लागू किया है ताकि निर्धन एवं उपेक्षित वर्ग को कोरोना महामारी के दौरान आय अर्जित करने के अवसर उपलब्ध हो सके और संकट काल में परिवार का पालन-पोषण कर सके।
इस अवसर पर सुरेश भारद्वाज ने नगर निगम की महापौर सत्या कौंडल व उप-महापौर शैलेंद्र चैहान से भी विस्तृत चर्चा की और उनके सुझाव आमंत्रित किए।
उन्होंने इस समावेशी योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए स्थानीय पार्षदों व नगर निगम के कर्मचारियों के सहयोग की अपील की ताकि धरातल पर निर्धन वर्ग को लाभ मिल सके।
इस अवसर पर नगर निगम के आयुक्त पंकज राय तथा भाजपा के युवा नेता दिग्विजय चैहान भी उपस्थित थे।