विधानसभा घेराव कर हंगामा करने के दस साल पुराने मामले में आरोपित कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य व सुबोध उनियाल समेत 25 नेताओं को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विवेक श्रीवास्तव की अदालत से राहत मिल गई है। अदालत इन सभी के खिलाफ दायर वाद वापस ले लिया है।

वर्ष 2009 में उत्तराखंड में भाजपा की सरकार थी। 21 दिंसबर 2009 को कांग्रेस से बतौर नेता प्रतिपक्ष हरक सिंह रावत सहित तमाम कांग्रेसियों ने जन समस्याओं और सरकारी की नीतियों के खिलाफ आंदोलन करते हुए विधानसभा कूच किया था। इस दौरान विधानसभा के बाहर खूब हंगामा हुआ था और पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई थी।

तब हरक समेत 25 के खिलाफ नेहरू कालोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट की अदालत में चल रही थी। इसी बीच सरकार ने साल 2018 में जनहित में मुकदमा वापस लेने का फैसला करते हुए अदालत में अर्जी दाखिल की, लेकिन सीजेएम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

अधिवक्ता नितिन वशिष्ठ ने बताया कि इस पर मामले में सत्र न्यायालय में अपील दायर की गई। सत्र न्यायालय ने सुनवाई की और आदेश दिया कि सरकार द्वारा मुकदमा वापस लेने का फैसला जनहित में किया गया है। निचली अदालत इस संबंध में उचित आदेश जारी करे। इस पर सुनवाई करते हुए अब सीजेएम कोर्ट ने मुकदमे को वापस लेने का आदेश दे दिया है।

इन पर दर्ज हुआ था मुकदमा

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल व यशपाल आर्य, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन, पूर्व मंत्री दिनेश अग्रवाल, पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, कांग्रेस नेता लालचंद शर्मा, संग्राम सिंह पुंडीर, भूपेंद्र, महेश शर्मा, विजय सिंह चौहान, मनीष नागपाल, विवेक खंडूरी, शिवेश बहुगुणा, ट्विंकल खन्ना, विकास चौधरी, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, सूर्यकांत धस्माना, किशोर उपाध्याय, विनोद रावत, सतपाल ब्रह्मचारी, शंकर चंद्र रमोला।