लखनऊ,(विजयेन्द्र दत्त गौतम)– उत्तर प्रदेश में तब्लीगी जमात से आए 97 लोगों की कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बाकियों की रिपोर्ट जल्द आने वाली है. यूपी में तब्लीगी जमात से जुड़े 1330 लोगों की पहचान हुई है। इसमें 258 विदेशी हैं।
यूपी के तब्लीगी जमात में शामिल जिन 1330 लोगों की पहचान हुई है उन्हें उत्तर प्रदेश में ही क्वॉरन्टीन में भेज दिया गया है। इसके साथ ही 200 लोगों के पासपोर्ट ज़ब्त कर लिए गए हैं। बताया जा रहा है कि अभी ये शुरुआती रिपोर्ट है और इन 97 लोगों की दूसरी रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।

जमात के कुकर्मो के कारण पूरा देश करोना महामारी की तीसरी अवस्था में आने वाला हे ऐसे में इससे जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का केस क्यों नही दर्ज किया जा रहा और क्यों भारत की जनता के टैक्स के पेसो से इनका इलाज किया जा रहा? इस मानवता व राष्ट्रविरोधी संस्था की गतिविधियों पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाकर व सरि समपत्ति ज़ब्त कर कठोर क़ानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए? हालाकी देशभर की मस्जिदो व सभी धार्मिक भवनो की गहन जाँच के आदेश दिए जा रहे हे ।

क्या हे तबलीग जमात –
तब्लीग जमात इस्लाम के सुन्नी मजहब के हनफी विचारधारा के कट्टर देओबंदी समुदाय के मेवाती गिरोह से ताल्लुक रखते हैं। हरियाणा के मेवात में 1926 में इसकी शुरुआत हुई और आज समूचे संसार में ये मेवाती इस्लाम का प्रचार करते हैं। इनका मुख्य जोर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और इंडोनेशिया मलेशिया में है। एक अनुमान के मुताबिक करीब पांच करोड़ मुसलमान तब्लीग को फॉलो करते हैं।
ये तब्लीगी जमात इस्लाम के बाकी सभी स्कूलों को सही नहीं मानता और तब्लीगी जमात के अलावा बाकी हर मुसलमान को काफिर मानता है। ये शिया या फिर सुन्नी समुदाय के दूसरे मौलवियों और मौलानाओं को खारिज करते हैं और मुसलमानों से कहते हैं कि अपने और अल्लाह के बीच में पैगंबर के अलावा कोई मध्यस्थ न रखें।
इनकी एक खास जीवनशैली होती है जिसका आधार है गैर मुस्लिमों से दूरी। गैर मुस्लिम इनके लिए अछूत होता है और ये उसे देखना भी पसंद नहीं करते। ये लोग समूह में घूम घूमकर मुसलमानों के बीच ही अपना प्रचार करते हैं जो तीन दिन से लेकर चालीस दिन तक का होता है। इनके प्रचार का मुख्य आधार है दावा जिसका अर्थ है निमंत्रण देना।
तब्लीगी जमात मुसलमानों के बीच बहुत सम्मान से नहीं देखी जाती क्योंकि ये अपने अलावा बाकी हर मुसलमान को खारिज करते हैं। फिर वो शिया हो या बरेलवी, सूफी हो या चिश्ती। तब्लीगी जमात इनको सच्चा मुसलमान नहीं मानती।
बीते कुछ दशकों में भारत और पाकिस्तान में जिस कट्टरपंथी इस्लाम का जोर बढ़ा है उसमें तब्लीगी जमात का बड़ा योगदान है।