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परमार्थ नारी सशक्ति केन्द्र, प्रकाश भारती एवं महिला व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र, देहरादून रोड पर विभिन्न समुदायों की महिलाओं एवं बेटियों को दो-दो दिवसीय स्वयं सहायता समूह ‘क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण’ दिया गया। इस अवसर पर परमार्थ निकेेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने महिला सशक्तिकरण पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करना अत्यंत आवश्यक है। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वित्तीय संसाधनों तक महिलाओं की पहुँच को बढ़ाने हेतु क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से बेटियों और महिलाओं के कौशल को बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का उत्कृष्ट प्रयास है। कोविड-19 महामारी के इस दौर में लैंगिक समानता के साथ महिलाओं को वित्तीय प्रणाली और रोजगार से जोड़ना आवश्यक है ताकि वे जीवन में आने वाली आर्थिक चुनौतियों का सामना कर सके। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य को प्राप्त करने और भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं का वित्तीय समावेशन जरूरी है। उन्होंने बताया कि परमार्थ नारी सशक्ति केन्द्र के माध्यम से हमारा प्रयास है कि ऋषिकेश के स्लम बस्तियों की बहनों और बेटियों को महिला-केंद्रित योजनाओं से जोड़कर कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना। कोरोना महामारी के कारण आय में कमी होने तथा नौकरियाँ छूटने के कारण महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित हो रही है इसलिये हमारे सेन्टर के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा कौशल और क्षमता को बढ़ाने वाला प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर होकर देश के विकास हेतु अपना योगदान प्रदान करें। डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी ने इस प्रशिक्षण हेतु शुभकामनायें देते हुये अपने संदेश में कहा कि नारी सशक्तिकरण आत्मनिर्भर भारत की नींव है। परमार्थ नारी सशक्ति केन्द्र में स्वयं सहायता समूह का प्रशिक्षण योग्य प्रशिक्षक मोनिका मित्तल अध्यक्ष (उपासना ग्राम संगठन सहकारिता, शिवाजीनगर, नीलम राय, जागृति समुह, श्रीमती मुन्नी राजपूत, अध्यक्ष सियाराम एसएचजी ने बड़ी ही खुबसूरती से दिया। प्रशिक्षण के अंत में उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के मेनेजर और अन्य अधिकारियों ने इस योजना के अलावा अन्य योजनाओं की भी जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीवा कार्यक्रम समन्वय और क्रियान्वयन अधिकारी सुश्री गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, वन्दना शर्मा, उपासना, रामचन्द्र शाह, पुष्पलता आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।