नई दिल्ली। संसद से सुप्रीम कोर्ट तक महाराष्ट्र की सत्ता की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को अपने और शिवसेना के विधायकों पर तो भरोसा है मगर एनसीपी के विधायकों को लेकर पार्टी सशंकित है। इसकी वजह तकनीकी आधार पर अजीत पवार को एनसीपी विधायक दल का नेता बनाए रखने के लिए भाजपा की ओर से चले जा रहे कानूनी दांव-पेंच है।
रणनीति के तहत हुई तीनों दलों के विधायकों की मीडिया के सामने परेड
कांग्रेस को डर है कि अजीत यदि तकनीकी आधार पर बहुमत परीक्षण के समय विधायक दल के नेता बने रहे तो एनसीपी में तोड़-फोड़ की आशंका बनी रहेगी। इसीलिए विपक्षी खेमे ने भी भाजपा को मात देने के लिए ‘माइंड गेम’ के दांव चलने शुरू कर दिए हैं। विधायकों की मीडिया के सामने कराई गई परेड तीनों दलों की इस रणनीति का अहम हिस्सा था।
शरद पवार ने अजीत पवार को वापस लाने की कोशिशें नहीं छोड़ी
कांग्रेस इस आशंका को भी नजरअंदाज नहीं कर रही कि कानूनी तकनीकी की आड़ में भाजपा अजित के जरिए एनसीपी विधायकों को व्हिप का डर दिखा तोड़ने की कोशिश भी कर सकती है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की ओर से सर्वोच्च अदालत में सोमवार को इस पहलू को उठाया भी गया। इस आशंका को टालने के लिए ही कांग्रेस और शिवसेना जहां कानूनी पक्ष को मजबूत करने में लगे हैं। वहीं शरद पवार ने अजीत पवार को वापस लाने की कोशिशें अभी तक नहीं छोड़ी है।
भाजपा-अजीत के आंकड़ों के खेल को परास्त करने के लिए हुई 162 विधायकों की परेड
सुप्रीम कोर्ट में कानूनी तकनीकियों के जरिये भाजपा ने जब एनसीपी विधायकों के मन में बेचैनी पैदा करने की कोशिश की दलीलें दी। तब विपक्षी दलों ने जवाबी दांव चलते हुए मुंबई के होटल में अपने समर्थक 162 विधायकों की मीडिया के सामने परेड करा भाजपा ही नहीं अजीत पवार को भी आंकड़ों के खेल में परास्त करने का संदेश देने की कोशिश की। माना जा रहा कि एनसीपी विधायकों में अजीत पवार की सेंधमारी की कोशिश नाकाम करने के साथ ही सर्वोच्च अदालत के मंगलवार को आने वाले फैसले के मद्देनजर भी विपक्षी खेमे ने विधायकों की यह परेड करायी।
संख्या बल भाजपा और अजीत के पास नहीं, बल्कि तीनों दलों के गठबंधन के पास है
सर्वोच्च अदालत की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र में बहुमत परीक्षण को लंबा खींचने के भाजपा के दांव को देखते हुए ही कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना ने अपने-अपने खेमे के विधायकों को एक मंच पर लाकर संयुक्त यह संदेश देने का फैसला किया। इसके जरिये संदेश यही था कि संख्या बल भाजपा और अजीत पवार के पास नहीं है बल्कि तीनों दलों के गठबंधन के पास है। कांग्रेस को उम्मीद है कि संख्या बल देखने के बाद अजीत समर्थक एनसीपी विधायक बाहर जाने का जोखिम लेने से हिचकेंगे।
भाजपा ‘माइंड गेम’ से विपक्ष के हौसले को तोड़ना चाहती है
कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना के सियासी गठबंधन के रणनीतिकारों में शामिल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत में कहा कि भाजपा एनसीपी विधायकों को तोड़ने के लिए पर्दे के पीछे जैसी जबरदस्त कोशिश कर रही है। इससे जाहिर है कि बहुमत नहीं होने के बाद भी भाजपा ‘माइंड गेम’ से विपक्ष के हौसले को तोड़ना चाहती है।
तीनों पार्टियों ने भाजपा को उसी के दांव से जवाब दिया
इसीलिए तीनों विपक्षी पार्टियों ने भी भाजपा को भी उसी के दांव से जवाब देने की रणनीति अपनाई है। तभी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई खत्म होने के बाद दोपहर में कांग्रेस के कानूनी व सियासी रणनीतिकारों की संसद भवन परिसर में गहन मंत्रणा हुई जिसमें विधायकों की परेड कराने की रणनीति बनी।
माइंड गेम में तीनों पार्टियों ने अपना पलड़ा भारी होने का दिया खुला संदेश
कांग्रेस रणनीतिकारों ने इसके बाद शरद पवार और उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की तो तत्काल इन दोनों ने भी परेड पर हामी भर दी। इसी के बाद तीनों दलों ने मुंबई के एक होटल में अपने समर्थक 162 विधायकों की मीडिया के सामने परेड करा माइंड गेम में अपना पलड़ा भारी होने का खुला संदेश दिया।
विधायकों की खुली परेड सुप्रीम कोर्ट में बहुमत के दावे के पक्ष को मजबूत करेगा
पार्टी के एक दूसरे रणनीतिकार ने कहा कि जब विधायकों को भाजपा की ओर से तमाम लुभावने प्रलोभन की पेशकश हो रही है तब संख्या बल दिखाकर डांवाडोल विधायकों के मन में जोखिम नहीं लेने का डर तो पैदा किया ही जा सकता है। उनका यह भी तर्क था कि देश भर में राजनीतिक संदेश जाने के अलावा विधायकों की खुली परेड सुप्रीम कोर्ट में भी कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के बहुमत के दावे के पक्ष को मजबूत करेगा।