लुढ़कते पारे के बाद दीपावली के धूम-धड़ाके ने डेंगू के मच्छर को तकरीबन ठंडा कर दिया है। जानकारों का कहना है कि दीपावली के दौरान हुई आतिशबाजी के चलते उत्पन्न गैसों से डेंगू का पूरी तरह सफाया होने की उम्मीद है। इसके अलावा बढ़ती सर्दी भी डेंगू के मुफीद नहीं। ऐसे में अब चार माह बाद डेंगू के कहर से मुक्ति की उम्मीद बलवती हो गई है। साथ ही डेंगू के डंक को कुंद कर पाने में विफल स्वास्थ्य महकमा भी राहत की सांस लेता नजर रहा है।
उत्तराखंड में इस दफा डेंगू ने स्वास्थ्य विभाग को चित कर दिया। डेंगू की न सिर्फ वक्त से पहले आमद हो गई, बल्कि इसने सारे रेकार्ड भी ध्वस्त कर दिए। तकरीबन चार माह तक डेंगू कहर ढाता रहा और महकमा उपचार से लेकर अन्य इंतजाम तक में फिसड्डी साबित हुआ। अफसर सिर्फ दंभ भरते रहे कि वह डेंगू से लड़ने को तैयार हैं।
वहीं, धरातल पर व्यवस्था दम तोड़ रही थी। दून में तो एलाइजा जांच का काम भी एकमात्र लैब टेक्नीशियन के कांधे लाद दिया गया। सरकार घिरी तब जाकर चार अन्य जगह भी जांच शुरू की गई। अन्यथा मरीजों को रिपोर्ट के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा था। फॉगिंग पर भी नगर निगम ने कई लाख रुपये तेल पर खर्च कर दिए, पर मच्छर मुंह चिढ़ाता रहा।
मरीजों की तादाद बढ़ी तो विभाग आंकड़ों में ही बाजीगरी करने लगा। दून अस्पताल के अलावा अन्य जगह जांच के सैंपल तक डंप कर दिए गए। बहरहाल अब आतिशबाजी के धुएं और सर्द मौसम ने विभाग को आस बंधाई है। मौसम भी दे रहा साथ
मच्छरों की ब्रीडिंग तब तक जारी रहती है, जब तक अधिकतम तापमान 24 डिग्री से कम नहीं हो जाता। तापमान 24 डिग्री से नीचे आते ही डेंगू-चिकनगुनिया के मच्छरों के अंडे और लार्वा पनप नहीं पाते। अब पारा गिरने लगा है, ऐसे में मच्छरों की गिनती भी कम होने लगी है।
मच्छरों का काल बनी दीपावली
पटाखों से नाइट्रोजन, सल्फर, कार्बन डाईऑक्साइड आदि गैसें निकलती हैं। ये गैसें डेंगू के मच्छरों के लिए जहर की तरह हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि दीपावली का जश्न मच्छरों के लिए काल बनकर आया है।
आठ मरीजों में पुष्टि
ताजा रिपोर्ट में देहरादून में आठ मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। बताया गया कि दून अस्पताल की पैथोलॉजी में 52 सैंपल की जांच की गई थी। जिसमें आठ ही केस पॉजीटिव आई है। अब तक कुल 21053 सैंपल की जांच की जा चुकी है। इनमें 4800 में डेंगू पॉजीटिव आया है। जिला वीबीडी अधिकारी सुभाष जोशी के मुताबिक, वातावरण में ठंडक लगातार बढ़ रही है। ऐसे में डेंगू के मरीज भी अपेक्षाकृत कम हुए हैं। इसके अलावा पटाखे भी मच्छरों का काल बने हैं।