48 / 100

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में जीएम उत्तर रेलवे आशुतोष गंगल और अन्य पदाधिकारीगण पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंटवार्ता कर विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने ऋषिकेश, उत्तराखंड में सर्वसुविधायुक्त रेलवे स्टेशन के निर्माण हेतु रेलवे मंत्रालय और भारतीय रेल विभाग को धन्यवाद देते हुये परमार्थ निकेतन पधारे आशुतोष गंगल और सभी पदाधिकारियों का अभिनन्दन एवं आशीर्वाद प्रदान करते हुये कहा कि योग नगरी ऋषिकेश का रेलवे स्टेशन भारत के बेहतरीन रेलवे स्टेशनों में एक है जो कि आध्यात्मिक, अद्भुत और अलौकिक स्वरूप लिये है।
आशुतोष गंगल ने बताया कि कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का कार्य वर्ष 2024 तक पूर्ण हो जायेगा तथा इस ट्रेक के लिये अलग-अलग जगहों पर कुल 65 किलो मीटर की सुरंग बनायी जायेगी जिससे होकर रेल गुजरेगी। इस हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सुझाव दिया कि सुरंग से होकर जब रेल गुजरेगी उस समय यात्रियों को उत्तराखंड का आध्यात्मिक महत्व, योग और ध्यान की महिमा, उत्तराखंड राज्य के मन्दिरों, प्राकृतिक स्थानों, यहां की संस्कृति और विरासत, हिमालय एवं गंगा के महत्व के बारे में जानकारी देने वाले संदेश या छोटी-छोटी फिल्म दिखाई जाये तो सफर भी रोमांचक होगा, जनसमुदाय के ज्ञान में भी वृद्धि होगी और यात्रा भी अध्यात्मय होगी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि रेलवे स्टेशनों के आसपास और रेलवे की जो भूमि खाली है उस पर पौधों का रोपण किया जाये तो उन स्थानों की सुन्दरता तो बढ़ेगी साथ ही वायु प्रदूषण कम होगा और शुद्ध प्राणवायु ऑक्सीजन प्राप्त होगी। स्वामी ने यह भी सुझाव दिया कि इस मार्ग में जितने भी पेड़ कटे हैं उससे कई गुणा अधिक पेड़ लगाये जायें तथा यह भी आश्वासन दिया कि हरित रेलवे और वृक्षारोपण के लिये परमार्थ निकेतन सदैव ही रेलवे विभाग के साथ है। हम सभी मिलकर कार्य कार्य करेंगे तो यह कार्य और भी बेहतर हो सकता है। इस अवसर आशुतोष गंगल, जीएम रेलवे उत्तर, तरूण प्रकाश, मण्डल रेल प्रबंधक मुरादाबाद, एस एन पाण्डे, चीफ सिक्योरिटी आफिसर, रेखा शर्मा, सीनीयर डिसीएम, मुरादाबाद, एनएन सिंह, एडीआरएम मुरादाबाद, नवीन कुमार झा, सिडीओएम, मुरादाबाद आदि सभी ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग कर कहा कि ये क्षण हमारे जीवन के दिव्य क्षण है, हरित रेलवे-हरित भारत का संकल्प लिया तथा जल संरक्षण हेतु स्वामी के पावन सान्निध्य में विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।