देहरादून विपक्षी दल आपदा नियंत्रण तंत्र फेल होने का इल्जाम यूं ही नहीं लगा रहे हैं। उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक के अंर्तगत आपदा प्रभावित 12 से अधिक गांवों का जिम्मा एक डीएम पर छोड़ दिया गया है। वहीं जिन अधिकारियों-कर्मचारियों को ड्यूटी पर भेजा भी जा रहा है वह जाने में आनाकानी कर रहे हैं। बात अगर आपदा प्रभावित क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की करें तो डॉक्टर साहब प्रभावित क्षेत्रों में जाने को राजी नहीं हैं। इसकी एक बानगी प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल यानी दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में देखने को मिली।
जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने उत्तरकाशी के आराकोट व अन्य प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए सभी अस्पतालों से डॉक्टर मांगे थे। इस पर दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश जारी किए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने हड्डी रोग विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. चेतन गिरोटी से सलाह कर डॉ. अक्षत मित्तल व मेडिसन विभाग से डॉ. अनुज बग्गा की ड्यूटी आपदा प्रभावित क्षेत्र के लिए लगाई। बताया जा रहा है कि डॉ. अक्षत मित्तल ने बहाना बनाकर ड्यूटी पर जाने से इन्कार कर दिया।
इसके बाद विभागाध्यक्ष ने दूसरे हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. केआर सोन का नाम प्रस्तावित किया। उनकी डय़ूटी के लिए बकायदा लिखित में आदेश भी तैयार हो गया था। लेकिन डॉ. सोन ने भी आपदा प्रभावित क्षेत्र में ड्यूटी पर जाने से हाथ खड़े कर दिए। इस मामले को लेकर अस्पताल में करीब दो घंटे तक माथापच्ची होती रही। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से लेकर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल प्रबंधन के अफसरों के बीच फोन पर कई दौर की वार्ता हुई। मामला और पेचिदा होता इससे पहले अस्पताल प्रबंधन को सख्त रुख अख्तियार करना पड़ा।
डॉ. अक्षत की आपदा प्रभावित क्षेत्र के लिए ड्यूटी लगाई गई। सिर्फ दून अस्पताल ही नहीं बल्कि अन्य अस्पतालों में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है। इधर, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा का कहना है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रोटेशन पर चिकित्सक भेजे जाएंगे। डॉ. केआर सोन को दो दिन बाद ड्यूटी पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने कहा कि आपदा ड्यूटी में किसी भी तरह की बहानेबाजी या आनाकानी नहीं चलेगी।