वन, पर्यावरण एवं श्रम सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत सदन में अपने ही विधायकों के सवालों से घिरे नजर आए। विशेषकर आइटीआइ को बंद करने, प्रदेश में किसी भी जीव जंतु के विलुप्ति के कगार पर न होने, वनाग्नि और न्यूनतम मजदूरी के आंकड़ों पर उनके जवाब से विधायक संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद कैबिनेट मंत्री द्वारा अलग से जवाब भेजने के कथन पर विधायक कुछ संतुष्ट हुए।

सदन में प्रश्नकाल के दौरान निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने प्रदेश में जीव जंतुओं की प्रजातियों और विलुप्त होने वाली प्रजातियों के संबंध में सवाल किया। इसका जवाब देते हुए वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित फोना सिरीज में प्रदेश में कुल 3748 जीव जंतुओं का उल्लेख है। इनमें से कोई भी विलुप्ति की कगार पर नहीं है।

इस पर कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह के साथ ही भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हिमालयन सिरो के अलावा तीन प्रकार के गिद्ध की प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। यह बात पूर्व में भी सदन में उठ चुकी है। इसकी कोई जानकारी सदन में न रखा जाना बेहद गंभीर मामला है।

इस पर वन मंत्री ने कहा कि सदन में बात अधिकारिक आंकड़ों पर हो रही है। मोबाइल टॉवर रेडिएशन से जीव जंतुओं को होने वाले नुकसान और जल की शुद्धता की जांच के संबंध में पूछे गए सवाल पर वन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में इसके लिए जल्द ही हाईटेक लैब का निर्माण किया जाएगा।

न्यूनतम मजदूरी के सवाल पर भी उलझे 

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत न्यूनतम मजदूरी के सवाल पर भी भाजपा विधायकों के निशाने पर रहे। विधायक देशराज कर्णवाल द्वारा न्यूनतम मजदूरी के सवाल पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने बताया कि वर्ष 2005 में तीन बार, इसके बाद वर्ष 2008, वर्ष 2013, वर्ष 2015 और 2019 में न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई गई है। यह विभाग की वेबसाइट पर भी देखी जा सकती है।

वर्ष 2019 में अकुशल श्रमिकों का वेतन 6300 रुपये से बढ़ाकर 8500 किया गया है। जो 22 फीस वृद्धि दर्शाता है। भाजपा विधायकों ने इस पर मंत्री ने इन बीते वर्षो में बढ़ाई गई दरों के कर्मचारी वार आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा। इस पर विभागीय मंत्री विभागीय उपलब्धियों की बात करने लगे। इस पर एक बार पीठ ने भी उन्हें टोका।

विधायक देशराज कर्णवाल ने भी विभागीय वेबसाइट में अपूर्ण जानकारी होने का मसला उठाया। इस पर विभागीय मंत्री ने वेबसाइट में जानकारी अपडेट करने और अलग से आंकड़ा उपलब्ध कराने की बात कहकर विधायकों को शांत किया। वहीं वनाग्नि और आइटीआई बंद करने के मसले पर भाजपा विधायक चंदन राम दास, पूरण सिंह फर्त्याल और कांग्रेसी विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि मंत्री गलत जानकारी दे रहे हैं।