शिमला,(विजेंद्र दत्त गौतम):  हिप्र कांग्रेस के महामंत्री एवं वन निगम के पूर्व उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया ने कहा कि राज्य सरकार की प्रबंधन स्थिति पर बड़ी असमंजस की स्थिति है। उन्होंने कहा कि वेतन या भत्तों में से क्या काटना है, क्या नही काटना है यह सरकार को खुद ही मालूम नही है। सरकार ने पहले अधिसुचना जारी करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी की सिर्फ एक दिन की बेसिक पे के हिसाब से तनखाह काटी जाएगी। जिसे बाद में पूर्ण (ग्रॉस) काट दिया गया । हास्यास्पद स्थिति तो यह है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भी तनखाह काट ली गई। पठानिया ने कहा कि सूचना मिल रही है कि केंद्र के बाद अब राज्य सरकार कर्मचारियों की महंगाई भत्ते में कटौती का ऐलान कर सकती हैं। अब कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में कटौती हरगिज बर्दाश्त नही की जाएगी। उन्होंने कहा कि महंगाई गरीबी और बीमारियों से घिरे अपने परिवारों को पालने तक सिमित कर्मचारियों की बड़ी जमात कई सुविधाओं से महरूम है| उन्होंने कहा कि हिप्र में लोक डाउन और कर्फ्यू अनुपालना के दौरान कोरोना वायरस से किसी भी बड़े पैमाने पर हानि या खर्चे की संभावनाएं नहीं हैं, ऐसा खुद प्रदेश के आला अधिकारियों द्वारा अपनी रिपोर्ट में करार किया गया है। जबकि इस दौरान उद्योगपति, विभाग और कई संस्थाओं ने सरकार को लाखों रुपये का दान देकर कोरोना महामारी की लड़ाई में प्रदेश सरकार का साथ दिया है। उन्होंने कहा कि स्वयं विधायकों के वेतन कटौती में विधायकों ने खुशी खुशी अपना वेतन इस महामारी के निदान को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी कटौती के निर्णय से पहले केंद्र और राज्य सरकारें खर्चों का हिसाब सार्वजनिक करे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले से ही फीस बढौतरी निर्णय का अधिकार क्षेत्र निजी शैक्षणिक संस्थाओं के हाथों सौंप दिया है। जिससे आमजन पर भारी दबाव की स्थिती है। उन्होंने कहा कि लाक डाउन और कर्फ्यू जैसी स्थिति में खाद्य आपूर्ती करने वाले राशन और सब्जियों के दामों में वृद्धी कर आमजन को लूट रहे हैं। खाद्य वितरण प्रणाली में मूल्य नियंत्रण को लेकर कोइ योजना नहीं बनाई गयी है। जिसका फ़ायदा उठाकर बिना किसी सूचि के आवश्यक खाद्य सामग्री वितरण में मूल्य असंतुलन की लगातार कई घटनाएं प्रकाश में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में सरकारी तंत्र राज्य के कर्मचारियों के वेतन पर कैंची चलाकर अपनी मनमानी नहीं कर सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री को सलाह देते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी में पहले से ही सभी योजनाओं के रुकने से राशी खुद सरकार के अधीन है। जिसका उपयोग कर वह कर्मचारियों के साथ अन्याय को रोक सकते हैं।