Health: अष्टवक्रासन तीन शब्दों (अष्ट, वक्र और आसन) के मेल से बना है। इसमें अष्ट का मतलब आठ, वक्र का अर्थ टेढ़ा और आसन का मतलब मुद्रा है। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर आठ जगह से मोड़ा जाता है। अगर आप रोजाना इस आसन का अभ्यास अपनी क्षमतानुसार करते हैं तो इससे आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक Health लाभ मिल सकते हैं। आइए आज हम आपको इस आसन से जुड़ी कछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अष्टवक्रासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मद्रा में बैठें और फिर दाएं पैर को घुटने से मोडक़र पीठ के पीछे से दाएं कंधे के पास लाएं। अब अपने बाएं पैर के तलवे को दाएं पैर के तलवे से क्रॉस करके बांधे। इस दौरान दोनों हथेलियां जमीन पर हो। इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाएं और पैरों को दाईं ओर फैला लें। फिर अपने शरीर को हवा में उठाएं और कुछ सेकेंड बाद धीरे-धीरे आसन छोड़ दें।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
इस आसन का अभ्यास थोड़ा कठिन है, इसलिए इसका अभ्यास धीरे-धीरे करें। अगर किसी की कोहनी, पीठ, घुटने, रीढ़ की हड्डी या फिर कंधे में चोट लगी है या शरीर के अन्य किसी अंग में दर्द की समस्या है तो वह इस योगासन का अभ्यास न करे। इस आसन के अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं क्योंकि इससे चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।
फायदे
अष्टवक्रासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह आसन पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन से शरीर का लचीलापन और संतुलन शक्ति भी बढ़ती है। इस योगासन से पाचन तंत्र की कार्यक्षमता को बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। इस आसन का किडनी पर भी सकारात्मक असर पड़ता है। यह आसन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं से भी राहत दिला सकता है। इस आसन से दिमाग शांत रहता है।
खास टिप्स
अष्टवक्रासन के अभ्यास से जुड़ी कुछ खास टिप्स
अगर आप पहली बार अष्टवक्रासन का अभ्यास करने वाले हैं तो योग गुरू की मदद जरूर लें। असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें और कभी भी अपने हाथों पर अधिक दबाव न डालें क्योंकि इससे चोट लगने का खतरा रहता है। इस योगासन का अभ्यास हमेशा खाली पेट और ढीले कपड़े पहनकर करें। जब आसन का अभ्यास छोड़ें तो किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद करें।
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