अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी के संचालक आरपी ईश्वरन के घर 22 सितंबर की रात पड़ी डकैती का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने मास्टरमाइंड बीएसएफ के बर्खास्त डिप्टी कमांडेंट समेत पांच डकैतों को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। वारदात में शामिल चार अन्य बदमाशों की तलाश में टीमें अभी दिल्ली, नोएडा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दबिश दे रही है। वारदात को अंजाम देने में कुल नौ बदमाश शामिल थे। इस आधार पर पुलिस राजपुर थाने में दर्ज एफआईआर को डकैती धारा में तरमीम कर दिया है।

एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि ईश्वरन डकैती कांड में मास्टरमाइंड वीरेंद्र ठाकुर निवासी छतरपुर थाना मैदान गढ़ी दिल्ली, मोहम्मद अदनान निवासी पान मंडी सदर बाजार दिल्ली, फिरोज निवासी रघुवीर नगर व मुजीबुर रहमान उर्फ पीरू निवासी आजादनगर कॉलोनी व फुरकान निवासी अलावलपुर भगवानपुर हरिद्वार की गिरफ्तारी हुई है।

वहीं हैदर निवासी नूरपुर चांदपुर बिजनौर, फहीम निवासी रघुवीरनगर दिल्ली व मिश्रा पता अज्ञात की गिरफ्तारी शेष है। इस गिरोह का मास्टरमाइंड वीरेंद्र ठाकुर है। उसी ने पूरी वारदात की पटकथा लिखी थी। एसएसपी ने बताया कि पहले योजना शहर के एक नामी प्रापर्टी डीलर राकेश बत्ता के घर डाका डालने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए गैंग के सदस्य 22 सितंबर की सुबह ही देहरादून पहुंच गए।

यहां पीरू ने सभी को अपने घर पर ठहराया। शाम करीब साढ़े पांच बजे वीरेंद्र अदनान, हैदर, फहीम, फिरोज व मिश्रा को लेकर को प्रॉपर्टी डीलर राकेश बत्ता के घर पहुंचे। वीरेंद्र घर के बाहर ही रुक गया। जबकि अदनान, हैदर, फहीम, फिरोज अंदर दाखिल हो गए, मिश्रा गेट पर रुक गया। जब चारो अंदर गए तो वहां कई लोग बैठे थे, जिसके चलते सभी उल्टे पांव बाहर लौट आए।

तब वीरेंद्र ने बताया कि थोड़ी दूर पर जंगल के बीच एक मकान है। खाली हाथ लौटने के बजाय वहां काम किया जा सकता है। इसके बाद वीरेंद्र व उसके साथी रात करीब साढ़े आठ बजे मसूरी रोड पर मालसी स्थित आरपी ईश्वरन के घर पहुंचे और ईश्वरन दंपती, उनके दो नौकर और गार्ड को बंधक बनाकर करीब डेढ़ घंटे तक लूटपाट की और वहां से सामान भरकर बाहर गाड़ी लेकर खड़े वीरेंद्र के पास पहुंचे। जहां से सभी आइएसबीटी आशारोड़ी होते हुए दिल्ली भाग गए।

ऐसे पहुंची पुलिस डकैतों तक

ईश्वरन घर से लूटे गए सात मोबाइल को बदमाशों ने राजपुर रोड पर स्कॉलर होम के पास फेंका था। इस दौरान गाड़ी करीब डेढ़ मिनट तक रुकी रही। यहां से पुलिस को पता चला कि डकैती में नीले रंग की शेवरलेट बीट गाड़ी का प्रयोग किया गया है। देहरादून से दिल्ली तक टोल-नाकों पर लगे करीब ढाई सौ कैमरों की फुटेज चेक, जिसमें कार की पहचान हुई।

इसके बाद पुलिस ने कंपनी से नीले रंग की उन बीट गाड़ियों का डाटा मंगाया, जो उत्तर भारत में बेची गई थीं। कई दिन की तफ्तीश से पता चला कि जिस गाड़ी वारदात में प्रयोग किया गया है कि वह इस समय थर्ड ओनर अदनान के पास है। अदनान को गिरफ्तार कर जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने एक ही झटके में पूरा राज उगलते हुए गिरोह में शामिल भी बदमाशों के नाम बता दिए।

मई में डाला था डेढ़ करोड़ का डाका

गिरोह से पूछताछ में बताया कि गैंग 26 मई को भी देहरादून आया था। उस समय वसंत विहार थाना क्षेत्र में विजय पार्क के पास एक सरकारी अधिकारी के डाका डाला था। अदनान ने बताया यहां से उसे एक करोड़ 31 लाख रुपये कैश मिले थे। मगर हैरानी की बात यह कि इस वारदात की पुलिस को कोई सूचना नहीं दी गई।

एसएसपी ने बताया कि अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। अब तहरीर मिलेगी तो अलग से मुकदमा दर्ज किया जाएगा। नहीं तो ईश्वरन के मुकदमे की विवेचना में ही इस वारदात की नए सिरे से जांच की जाएगी।

पुलिस टीम पर ईनाम की बौछार

सनसनीखेज डकैती का आठ दिन में पर्दाफाश होने से गदगद आरपी ईश्वरन ने पुलिस टीम को 1.51 लाख रुपये का ईनाम देने की घोषणा की है। वहीं, पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने बीस हजार रुपये नकद पुरस्कार की घोषणा की है। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि एसपी सिटी श्वेता चौबे के नेतृत्व में एसओजी प्रभारी ऐश्वर्य पाल व एसआई यासीन ने शानदार विवेचना की है। इसके लिए टीम को उत्तम विवेचना का भी पुरस्कार दिलाने की भी पैरवी की जाएगी।

यह हुई बरामदगी

भगवान गणेश की पीली धातु की एक मूर्ति, चांदी की एक ट्रे, चांदी के चार गिलास, चांदी की गणेश व लक्ष्मी की एक-एक मूर्ति, गले की दो चेन, स्पिंटल आभूषण, ईको स्पोर्ट्स कार व बाइक (फुरकान की) व 11.69 लाख रुपये कैश।

कई शहरों में डीआइजी ने बना रखा नेटवर्क

सीमा सुरक्षा बल से डिप्टी कमांडेंट के पद से बर्खास्त वीरेंद्र ठाकुर वह सारे पैंतरे जानता था, जिनका इस्तेमाल कर पुलिस बदमाशों को पकड़ने में करती है। पुलिस मुखबिरों का सहारा लेती है तो वीरेंद्र ने भी तकरीबन हर बड़े शहर में अपना नेटवर्क बना रखा था, जिसका इस्तेमाल पहले वह टारगेट तय करने में करता था।

फिर वारदात के बाद पुलिस के हर मूवमेंट की जानकारी लेने में। बेहद शातिर वीरेंद्र के कई बड़े शहरों में मुखबिर होने की बात सामने आई है, जिन तक पहुंचने के लिए पुलिस जल्द ही वीरेंद्र को कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी।

वीरेंद्र ठाकुर के शातिर दिमाग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गैंग के सदस्यों को वह अपने आपको वह डीआइजी बताता था। सब उसे डीआइजी साहब कह कर ही बुलाते थे। इसी रुतबे का इस्तेमाल उसने अलग-अलग शहरों में नेटवर्क तैयार करने में किया। पूछताछ में सामने आया कि देहरादून में मुखबिर तैयार करने में भी उसने इसी रुतबे का इस्तेमाल कर पहले राजेंद्रनगर के सैलून संचालक मुजिब्बुर रहमान उर्फ पीरू और फिर फुरकान को अपने नेटवर्क का हिस्सा बनाया।

फुरकान को तो उसने प्रेस कार्ड तक बनवा कर दे रखा था, ताकि वह पुलिस के आसपास रहे और घटना के बाद पुलिस के मूवमेंट के बारे में सूचनाएं देता रहे।

एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि पीरू और फुरकान का काम केवल गैंग के लिए रेकी करना था। 26 मई को वसंत विहार में हुई 1.31 करोड़ की डकैती की सफल वारदात के बाद पीरू और फुरकान वीरेंद्र के सबसे खास गुर्गे बन गए थे।

ऐसे में जब दोनों ने शहर के नामी प्रापर्टी डीलर राकेश बत्ता और फिर अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी के संचालक आरपी ईश्वरन के बारे में वीरेंद्र को सूचना दी तो उसने दोनों को बत्ता और ईश्वरन से हर छोटी-बड़ी सूचनाएं एकत्रित करने को कहा। इस पर दोनों ने इन दोनों हस्तियों की हर गतिविधि की रेकी की और यहां तक पता कर लिया था कि दोनों कब घर आते हैं। घर में एक समय में कितने लोग होते हैं। यह भी पता किया कि वारदात के बाद किस रास्ते से भागने पर पुलिस उन तक आसानी से नहीं पहुंच सकती।

सबकुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो वारदात के लिए रविवार का दिन चुना गया। आमतौर इस दिन शहर में भीड़-भाड़ कम होती है और पुलिस का मूवमेंट भी रोज की अपेक्षा कम होता है। 22 सितंबर की सुबह वीरेंद्र अपने साथी अदनान, हैदर, फहीम, फिरोज व मिश्रा को लेकर देहरादून आ गया। यहां सभी पीरू के घर पर ठहरे और तय योजना के तहत शाम साढ़े पांच बजे बत्ता के नगर कोतवाली क्षेत्र स्थित घर पहुंचे।

वहां उनकी पत्नी मिली तो अदनान ने कहा कि वह कंस्ट्रक्शन के सिलसिले में बात करने आया है। इस दौरान अदनान की बत्ता से फोन पर बात भी हुई। पुलिस के अनुसार बत्ता हैरान थे कि कोई उनके घर कैसे पहुंच सकता है। उन्होंने अगले दिन आफिस आने को कहा। इससे गैंग की प्लानिंग फेल हो गई। इसके बाद वीरेंद्र ने कहा कि खाली हाथ नहीं लौटना। तब आरपी ईश्वरन को निशाना बनाया जाना तय हुआ।

एक घंटे की रेकी के बाद बोला धावा

बत्ता के घर से वीरेंद्र का गैंग पौने छह बजे ही निकल गया। इसके बाद वह सीधे घंटाघर, राजपुर रोड होते हुए मालसी स्थित ईश्वरन के घर पहुंचे। तब तक अंधेरा हो चुका था और ईश्वरन के घर थोड़ी चहल-पहल भी थी। आठ बजे के करीब उनका गार्ड खाना खाने चला गया तो सवा आठ बजे सभी ईश्वरन के घर में घुस गए।

गन प्वाइंट पर सभी को काबू में कर बदमाशों ने यहां करीब डेढ़ घंटे तक लूटपाट की। इस बीच गार्ड वापस आया तो बाहर गाड़ी में बैठे वीरेंद्र ने अंदर दाखिल सदस्यों को इसकी जानकारी दे दी। इसके बाद गार्ड को भी डकैतों ने घर के अंदर बुलाकर बंधक बना लिया।

वीरेंद्र को फांसने को पुलिस ने भी खेला खेल

अदनान के पकड़े जाने के बाद जब वीरेंद्र की कलई खुली तो पुलिस ने भी उसके साथ खेल शुरू किया। पुलिस को पता चल गया था उसके गुर्गे अभी भी शहर में हैं, लिहाजा पुलिस ने लूटकांड में ईश्वरन के किसी नजदीकी के शामिल होने की अफवाह उड़ाई। ताकि गैंग को लगे कि पुलिस उन तक पहुंचने के बजाय गलत दिशा में विवेचना कर रही है। इस तरह वीरेंद्र जाल में फंसा और आखिरकार पकड़ा गया।

क्रिकेटर से सट्टे का शौक, फिर बना डकैत

कद-काठी में काफी मजबूत अदनान क्रिकेट का अच्छा खिलाड़ी भी रह चुका है। लेकिन महंगे शौक के चलते उसे सट्टे की लत लगी और फिर अलग-अलग गैंग के संपर्क में आकर जरायम की राह पकड़ ली। उस पर दिल्ली में वर्ष 2013 से लेकर वर्ष 2016 के बीच लूटपाट के सात मुकदमे दर्ज हुए और पकड़ा भी गया, लेकिन हर बार जमानत पर बाहर आने के और बड़ी वारदात करने का शौक सिर चढ़ कर बोलने लगा। उसने बताया कि उसने ईश्वरन का नाम क्रिकेट खेलने के दौरान सुन रखा था। इसलिए जब ईश्वरन का नाम लिस्ट में आया तो उसे लगा कि वहां से मोटा माल मिल सकता है।

कार और डीवीआर की बरामदगी होना बाकी

पुलिस को ईश्वरन के घर से उखाड़ी गई डीवीआर नहीं मिली है। पुलिस का मानना है कि यह मिश्रा या हैदर के पास हो सकती है। हैदर ही वह शख्स है, जिसने ईश्वरन से तमिल में बात की थी। पुलिस इन दोनों के मिलने के हर संभावित स्थल पर दबिश दे रही है। इसके साथ ही नीले रंग की वह कार भी बरामद होना बाकी है, जिससे वारदात को अंजाम दिया गया है।

पिघला कर बेचते थे लूटे गए आभूषण

एसएसपी ने बताया कि गिरोह लूटे गए सोने-चांदी के आभूषणों को जल्द से जल्द गला देता था। इसमें वीरेंद्र की पत्नी और बेटी उसकी मदद करती थीं। पुलिस ने इन दोनों को भी हिरासत में लेकर कई घंटे तक पूछताछ की। ईश्वरन के घर से लूटी गई ज्वेलरी को भी वीरेंद्र ने अपने घर पर गलाकर एक जौहरी को बेच दिया था। उन्होंने बताया कि ईश्वरन के घर की ज्वेलरी को गलाने के बाद 14 सौ ग्राम सोना मिला था, जिसे गिरोह में करीब 33 लाख में बेचा था।

पीरू ने किया ईश्वरन के घर जाने का दावा

पूछताछ में सैलून संचालक पीरू ने बताया कि सोलह साल पहले वह ईश्वरन के घर गया था, तभी उसने उनका ठाट-बाट देख रखा था। वहीं जब कुछ महीने पहले उनके घर आयकर विभाग की रेड पड़ी तो उसे लग गया कि इस घर को निशाना बनाया जा सकता है। हालांकि ईश्वरन ने पीरू के घर आने की बात को झूठा करार दिया है।

…तो नहीं पड़ती ईश्वरन के घर डकैती

वसंत विहार में अफसर के घर पड़ी डकैती की सूचना अगर पुलिस को उसी समय दे दी गई होती तो पुलिस का दावा है कि गैंग उसी समय पकड़ लिया गया होता और ईश्वरन को निशाना बनाने से बचाया जा सकता था।

किसके घर पड़ी थी 1.31 करोड़ की डकैती

अब पुलिस के लिए इस सवाल का जवाब तलाशने की चुनौती है कि वसंत विहार में किसके घर डकैती पड़ी थी। इतनी बड़ी डकैती के बाद पुलिस को क्यों सूचना नहीं दी गई। इसके पीछे क्या वजह थी। एसएसपी ने बताया कि जल्द ही इन सवालों का जवाब भी तलाश लिया जाएगा।