राजधानी में शहर के बीचोंबीच पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब पीने से छह की मौत हो गई, जबकि तीन बीमार हैं। उनका इलाज चल रहा है। हालत बिगड़ने पर तीनों बीमारो को देर रात ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया। जहरीली शराब से मौत होने का क्रम गुरुवार पूर्वाह्न् शुरू हो गया, लेकिन पुलिस और जिम्मेदार जन प्रतिनिधि तीस घंटे तक खामोशी ओढ़े रहे। शुक्रवार दोपहर पथरियापीर में दो और मौत हुई तो उनकी नींद टूटी। आनन-फानन मौके पर पहुंचकर खतो-किताबत में खुट गए। जहरीली शराब का यह मामला उस इलाके में सामने आया है, जो सचिवालय, राजभवन, पुलिस थाना और डीएम आवास के लगभग सवा किलोमीटर के दायरे में है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर यहां हालात ये हैं तो जिले के दूरदराज इलाके में क्या स्थिति होगी?

शुक्रवार दोपहर मामले ने उस वक्त तूल पकड़ लिया जब पीड़ित परिवारों के साथ स्थानीय लोगों की भीड़ मसूरी क्षेत्र के भाजपा विधायक गणोश जोशी के आवास के बाहर जमा होकर हंगामा करने लगी। कुछ देर बाद एक रोज पहले ही पता चलने के बाद भी सोई रही पुलिस मौके पर पहुंची। तब पता चला कि इलाके में गुरुवार दिन में ग्यारह बजे से लेकर शुक्रवार शाम तक छह की मौत हो चुकी हैं। इसमें से तीन की तो गुरुवार को ही मौत हो चुकी है और उनका अंतिम संस्कार तक कर किया जा चुका है। पुलिस के अनुसार पथरिया पीर के रहने वाले राजेंद्र (45) पुत्र प्यारे की गुरुवार को अचानक तबीयत बिगड़ने लगी। मुंह से झाग निकलता देख परिजन उसे लेकर दून मेडिकल कॉलेज पहुंचे, यहां थोड़ी देर बाद ही उसकी मौत हो गई। इसके थोड़ी देर बाद ही लल्ला (35) पुत्र नत्थूलाल की भी तबीयत बिगड़ने लगी, उसकी एक बजे के करीब दून अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद देर शाम को सरन (58) पुत्र सुक्कन सिंह को मुंह से झाग निकलने और बेसुध होने पर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उसकी भी मौत हो गई। शुक्रवार को परिवार और स्थानीय लोग इन तीनों का अंतिम संस्कार कर लौटे ही थे, फिर से मौत से पथरियापीर में जहरीली शराब से मौत का सिलसिला शुरू हो गया। दोपहर एक बजे से साढ़े तीन बजे के बीच आकाश (23) पुत्र किशन लाल, सुरेंद्र (40) पुत्र अशोक व इंदर (50) पुत्र हरचरन की भी मौत हो गई। वहीं नन्नू, लक्की व लीला को दून व महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौत से पहले इन सभी में एक ही तरह के लक्षण दिखे थे और आरोप है कि सभी ने इलाके के ही एक घर से शराब खरीद कर पी थी। हंगामा बढ़ता देख कोतवाली, कैंट, डालनवाला समेत आधा दर्जन थानों की फोर्स मौके पर बुला ली गई। पुलिस ने किसी तरह हालात काबू में किया।

डेंगू की आड़ में मामला दफन करने की थी साजिश

जहरीली शराब कांड पर 30 घंटे तक पर्दा डाले रखने वाली पुलिस ने घटना को दफन करने की भी कोशिश की। पुलिस ने गुरुवार सुबह से शुक्रवार दोपहर तक हुई चार मौतों को डेंगू का प्रकोप बताकर पिंड छुड़ाना चाहा। यही नहीं, इन चारों शवों का पोस्टमार्टम कराने की जहमत भी नहीं उठाई। जब तक पुलिस को ‘होश’ आता तब तक परिजन शवों का अंतिम संस्कार कर चुके थे। जब मामला बिगड़ा तो पुलिस को होश आया व बाकी दो शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, जिलाधिकारी आवास व एसएसपी आवास के महज एक किमी के दायरे एवं विधायक आवास से महज 20 मीटर दूर पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब से मौत का कहर बरपा। लेकिन पुलिस शुक्रवार दोपहर तक इस मामले को डेंगू की आड़ में ‘दफन’ करने की फिराक में थी। जहरीली शराब से चार मौत की सूचना के बाद भी पुलिस ने शवों का पोस्टमार्टम कराना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवारों का कहना था कि गुरुवार रात ही तीन मौतों की सूचना विधायक गणोश जोशी और संबंधित पुलिस अधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने कोई जरूरी कदम नहीं उठाए। आरोप हैं कि जांच करने के बजाय पुलिस पीड़ित परिवारों पर दबाव बनाकर दावा करती रही कि डॉक्टरों ने मौत की वजह डेंगू बताई है। मामले में पुलिस न केवल सवालों में है बल्कि उसकी भूमिका भी संदेह के घेरे में है। पथरिया पीर इलाके में जो कुछ हुआ, वह तंत्र की भूमिका को कठघरे खड़ा कर रहा है। हैरानी यह कि थाने की पुलिस ही नहीं बल्कि जनप्रतिनिधि भी मामले को दबाने की जुगत भिड़ाते रहे।

30 घंटे बाद भी अनजान थी सरकार

शहर के बीचोंबीच हुए इस घटनाक्रम के 30 घंटे बाद भी सरकार पूरी तरह अनजान थी। शुक्रवार शाम विधायक के आवास पर हंगामे की सूचना पर सरकार को मामले की भनक लगी और शाम सात बजे अफसरों से रिपोर्ट मांगी गई। छह मौत की जानकारी के बाद सरकार हरकत में आई।

कोतवाल, चौकी इंचार्ज व दो आबकारी निरीक्षक सस्‍पेंड

पथरिया पीर कांड ने सरकार से लेकर प्रशासनिक तंत्र को हिलाकर रख दिया। इसके गुनाहगार कौन थे, इन्हें पनाह कौन दे रहा था, यह सामने आना अभी बाकी है। इस बीच, सरकार ने फौरी कार्रवाई करते हुए शहर कोतवाल शिशुपाल सिंह नेगी, धारा चौकी इंचार्ज कुलवंत सिंह, आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने दो आबकारी निरीक्षकों शुजात हसन व मनोज फत्र्याल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने कोतवाली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया था कि इलाके में अवैध तरीके से शराब बेचे जाने की एक नहीं कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन पुलिस के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इस प्रकरण में सीओ सिटी की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की भूमिका की जांच एसपी देहात प्रमेंद्र डोबाल को सौंपी गई है। यह भी देखा जा रहा है कि शराब कहां से आती थी और कैसे बेची जाती थी? क्या वाकई में इलाकाई पुलिस को इस बात की जानकारी थी। इसके लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज से लेकर कॉल डिटेल रिकार्ड तक चेक किए जाएंगे। जो भी दोषी होगा, वह किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

मुख्‍यमंत्री ने दिए मजिस्‍ट्रीयल जांच के निर्देश

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के नेशविला रोड में जहरीली शराब के सेवन से हुई जनहानि पर दुख प्रकट किया है। उन्होंने घटना की मजिस्ट्रीयल जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण को अत्यंत गंभीर बताते हुए कहा कि सुनिश्चित किया जाएगा कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी व आबकारी आयुक्त को इस मामले में दोषी पाए जाने वालों पर शीघ्र कारवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने महानिदेशक स्वास्थ्य व सीएमओ देहरादून को चिकित्सालयों में भर्ती लोगों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देशित किया है। उधर, जहरीली शराब से मौत के मामले में शासन ने आयुक्त आबकारी सुशील कुमार से रिपोर्ट तलब की है। प्रमुख सचिव आबकारी आनंद वर्धन ने कहा के मामले की जानकारी ली जा रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

सुरेंद्र, इंदर का शव पीएम को भेजा

स्थानीय लोग तो चीख-चीख कर कह रहे हैं कि मौतें जहरीली शराब पीने से हुई है, लेकिन पुलिस अभी इसे लेकर चुप्पी साधे हुए है। सीओ सिटी शेखर चंद सुयाल ने बताया कि सुरेंद्र और इंदर के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा मौतों का असल कारण क्या है।

आरोपितों को हिरासत में लेने के दौरान धक्का-मुक्की

मृतकों ने पड़ोस के ही एक घर से गुरुवार से लेकर शुक्रवार दोपहर के बीच शराब खरीदी थी। पुलिस जब यहां पहुंची तो पुरुष सदस्य तो फरार हो चुके थे, घर में केवल मां-बेटी ही थी। बेटी की नवंबर में शादी है। लिहाजा लोगों ने मानवीय दृष्टिकोण का हवाला देते हुए उसे हिरासत में लिए जाने का विरोध करने लगे। एकबारगी तो भीड़ लड़की को पुलिस के चंगुल से छुड़ा लाई, लेकिन थोड़ी देर बाद महिला पुलिसकर्मियों की मदद से उसे हिरासत में ले लिया गया।

इलाके के ठेकों पर ताबड़तोड़ छापे

स्थानीय निवासियों का आरोप है कि मोहल्ले में ही कुछ परिवार हैं जो पुलिस की मिलीभगत कर अवैध तरीके से ठेकों से शराब लाकर उनमें मिलावट कर बेचते हैं। इसके बाद पुलिस ने नेशविला रोड पर चलने वाले शराब के ठेकों पर छापा मारा, वहीं रात आठ बजे शहर के सभी ठेके बंद करा दिए गए।

बरकरार है लोगों का गुस्सा

इलाके के लोगों के गुस्से को देखते हुए मौके पर भारी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है। डीएम सी रविशंकर व एसएसपी अरुण मोहन जोशी भी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मिलकर घटनाक्रम के बारे में जानकारी ली।