नई दिल्ली,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : कोरोना वायरस के इलाज को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मरीज के इलाज के दौरान हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजीथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल के साइड इफेक्ट का सवाल उठाया गया। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या हम एक्सपर्ट हैं? अदालत ने कहा कि हम इलाज के विधि को लेकर आदेश पारित नहीं कर सकते हैं ।
अदालत ने बताया कि याचिका को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सामने बतौर रिप्रजेंटेशन के तौर पर पेश किया जाना चाहिए और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च उस पर विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट में यूएस बेस्ड डॉक्टर ने एक संगठन की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा कि कोरोना मरीज के इलाज के दौरान उक्त दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके साइ़ड इफेक्ट का खतरा है। अदालत से कहा गया कि कोरोना मरीज के इलाज के लिए तय गाइडलाइंस में बदलाव किया जाए। याचिकाकर्ता ने यूएस से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होते हुए कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजीथ्रोमाइसिन का व्यापक इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के दौरान किया जा रहा है ये चिंता का विषय है। डॉक्टर कुणाल ने बताया कि जिन दोनों ड्रग्स का इस्तेमाल इलाज के लिए हो रहा है वह प्राथमिक साक्ष्य और किस्सों पर आधारित साक्ष्य है और इसका कोई प्रत्यक्ष साइंटिफिक साक्ष्य नहीं है।कोविड 19 नए किस्म का वायरस है और इस पर अभी बेहद कम रिसर्च सामने आया है। इस तरह से अगर उक्त दवाओं के कोरोना मरीज का इलाज होगा तो इससे हानिकारक साइड इफेक्ट का खतरा बना रहेगा । ऐसे में निर्देश दिया जाए कि कोरोना के मरीज के इलाज के लिए तय गाइडलाइंस में बदलाव किए जाए।