इस बात की संभावना काफी कम है कि सरकार धनी लोगों के लिए पर्सनल इनकम टैक्‍स की दरों में कटौती करेगी। सूत्रों ने कहा कि अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती के बीच टैक्‍स की कम वसूली के कारण यह निर्णय लिया जा सकता है। उल्‍लेखनीय है कि वित्‍त मंत्रालय द्वारा कॉरपोरेट टैक्‍स में 10 फीसद तक की कटौती किए जाने के बाद मांग बढ़ाने के लिए सरकार पर पर्सनल इनकम टैक्‍स की दरों में कटौती करने का दबाव बढ़ रहा है।

सूत्रों के अनुसार, मौजूदा स्थिति में कई कारणों जैसे अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती, टैक्‍स की कम प्राप्तियां आदि के कारण पर्सनल इनकम टैक्‍स की दरों में कटौती करना मुश्किल है। पिछले वित्‍त वर्ष में सरकार प्रत्‍यक्ष कर संग्रह का लक्ष्‍य पूरा नहीं कर पाई थी। इस वित्‍त वर्ष के लिए सरकार ने राजस्‍व प्राप्ति का लक्ष्‍य 13.80 लाख करोड़ रुपये रखा है।

सरकार को सोशल सिक्‍योरिटी स्‍कीम्‍स जैसे आयुष्‍मान भारत, महात्‍मा गांधी नेशनल रूरल इंप्‍लॉयमेंट गारंटी एक्‍ट (MNREGA), पीएम-किसान और प्रधानमंत्री आवास योजना आदि पर खर्च करने के लिए ज्‍यादा राजस्‍व की जरूरत है।

ऐसी योजनाओं को फंडिंग की जरूरत ऐसे समय में है जब वस्‍तु एवं सेवा कर से होने वाली प्राप्तियां घटने के कारण अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह पर पहले से ही दबाव है। पिछले महीने कॉरपोरेट टैक्‍स में कटौती के कारण भी सरकार के राजस्‍व में कमी आई है।

कॉरपोरेट टैक्‍स में सरकार ने 28 साल की सबसे बड़ी कटौती की थी। देश की अर्थव्‍यवस्‍था की ग्रोथ को छह साल के निम्‍नतम स्‍तर 5 फीसद से उबारने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया था। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने करदाताओं को पहले से ही कई छूट दे रखी है जिनमें 5 लाख रुपये तक की आय का टैक्‍स-फ्री होना भी शामिल है