देहरादून: उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी के प्रदेश संयोजक मोहन ढौंडियाल ने कहा है कि चार धाम यात्रा(Chardham Yatra) स्थगित करने का फैसला सरकार का है परंतु सरकार को इस यात्रा को स्थगित करने से पहले यह सोचना चाहिए था कि स्थानीय लोग और स्थानीय व्यवसाय जिसमें होटल, ढाबा, घोड़े-खच्चर चलाने वाले गरीब लोग इसी चार धाम यात्रा(Chardham Yatra) से अपनी आजीविका चलाते हैं। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी अगर चार धाम यात्रा स्थगित कर दी जाएगी तो उनके रोजी-रोटी का क्या होगा। सरकार को यह निर्णय लेने से पहले यह सोचना चाहिए था।
कि उन तमाम गरीब और व्यवसाय करने वाले बंधु जो हमारे चार धाम(Chardham Yatra) यात्रा पर पूर्ण रूप से अपनी आर्थिकी के लिए निर्भर करते हैं वह कैसे अपना जीवन यापन करेंगे। मेरा सरकार से अनुरोध है कि इन तमाम स्थानीय लोगों एवं स्थानीय व्यवसायियों के लिए कुछ ना कुछ आर्थिक पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे इनको आर्थिक रूप से थोड़ी मदद दी जा सके और इनके जीवन को सुलह बनाया जा सके। ताकि वे सभी लोग अपने घर परिवार के लिए खाने पीने की व्यवस्था कर सके एवं महामारी के संकट को धीरज के साथ सामना कर सके।
वहीं उत्तराखंड प्रगतिशील पार्टी के केदारनाथ विधानसभा संयोजक उमेश नौटियाल ने कहा कि सरकार अगर चाहे तो अभी से आंशिक रूप से यात्रा को सुचारू चलने की इजाजत दे सकती है ताकि उत्तराखंड के जो श्रद्धालु अपने चार धाम यात्रा के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं उन्हें कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने के साथ-साथ नेगेटिव रिपोर्ट लेकर यात्रा की इजाजत दी जा सकती हैं।
हमारे क्षेत्र में स्थानीय लोगों का यह एकमात्र रोजगार है जो चार धाम यात्रा के रूप में हर वर्ष कुछ महीनों के लिए मिलता है। प्रदेश सरकार को इस विषय में गंभीरता से सोचना चाहिए एवं जो लोग इस चार धाम यात्रा में अपना रोजगार करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं उन सभी को कुछ ना कुछ आर्थिक मदद दी जा सके। अन्यथा यात्रा को आंशिक रूप से चलने दी जाए ताकि जो भी यात्री चार धाम यात्रा के दर्शन के लिए आएंगे उनसे कुछ ना कुछ रोजगार के साधन भी उपलब्ध होगा और स्थानीय लोग कम से कम इस महामारी के संकट में दो पैसे का कारोबार कर अपना घर परिवार चलाएंगे।