उत्तराखंड में अब बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार व दर्द से संबंधित कोई दवा नहीं बेच सकेंगे। हाथ साफ रखने के लिए हैंड सेनिटाइजर की बिक्री भी उचित कीमत पर करनी होगी।

कोरोना वायरस संक्रमण पूरे विश्व के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में भी इसे महामारी घोषित किया हुआ है। इसके लक्षण भी बुखार की तरह ही होते हैं। ऐसे में कई बार आम खांसी, जुकाम आदि को गंभीरता से नहीं लेता है।

पीड़ित नजदीकी मेडिकल स्टोर से साधारण खांसी, जुकाम की दवा लेकर खुद का इलाज शुरू कर देते हैं। इस कारण शुरूआत में बीमारी पकड़ में नहीं आ पाती। कोरोना के मामले में यदि कोई पीड़ित हो तो वह अपने संपर्क में आने वाले अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है। इसे देखते हुए आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने सभी औषधि व्यावसायियों को उनके महासंघ के जरिए सरकुलर जारी किया है।

इसमें कहा गया है कि चूंकि प्रदेश में कोरोना को महामारी घोषित किया गया है, इस कारण कोई भी मेडिकल स्टोर बिना किसी चिकित्सीय परामर्श के किसी को खांसी, जुकाम, बुखार व दर्द से संबंधित दवा न दें।

बार्डर में सघन जांच को मांगी अतिरिक्त फोर्स

प्रदेश सरकार को बार्डर में सघन चेकिंग के लिए और अधिक सुरक्षा कर्मियों की जरूरत है। इससे दूसरे प्रदेशों से आने वालों की सही तरीके से स्क्रीनिंग की जा सके। प्रदेश ने केंद्र के सामने इस मसले को उठाया है।

केंद्रीय गृह सचिव ने कोरोना के मद्देनजर सीमांत राज्यों के साथ ही अर्द्ध  सैनिक बलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। इस दौरान मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रदेश सरकार द्वारा सीमांत क्षेत्रों में दूसरे देशों से आने वाले पर्यटकों की चेकिंग व स्क्रीनिंग के संबंध में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी।

गौरतलब है कि उत्तराखंड की सीमा चीन और नेपाल से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में इन सीमाओं से विदेशी नागरिकों के आने पर रोक लगा दी गई है, जबकि नेपाल के नागरिकों को स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवेश करने दिया जा रहा है। चूंकि नेपाल की सीमा का एक बड़ा हिस्सा जंगलों में भी पड़ता है। ऐसे में यहां चेकिंग के लिए सुरक्षा कर्मियों की थोड़ी कमी महसूस हो रही है।

इसे देखते हुए मुख्य सचिव ने केंद्रीय गृह सचिव से प्रदेश में एसएसबी कर्मियों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया। जिससे की यहां चेकिंग व स्क्रीनिंग का कार्य और सुगमता से किया जा सके। इसके अलावा उन्होंने कोरोना से निपटने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी।

जिम्मेदारियां की तय

सचिव स्वास्थ्य नितेश कुमार झा ने विभागीय अधिकारियों के साथ कोरोना वायरस से निपटने की तैयारियों को लेकर समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने हर जिलों में आइसोलेशन व क्वारंटाइन वार्ड के संबंध में जानकारी ली। इस दौरान किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई।

सार्वजनिक स्थलों पर न कूड़ा फेंकें और न थूकें

कोराना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए परिवेश की स्वच्छता बेहद जरूरी है। इसके लिए आमजन का भी जागरूक होना आवश्यक है। कूड़ा और गंदगी इस संक्रमण को बढ़ा सकती है। इसे देखते हुए शहरी विकास विभाग ने सभी लोगों से अपील की है कि वे न तो सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा न फेंकें और न ही थूकें।

वहीं, शासन ने भी सभी नगर निकायों में कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम को प्रभावी तरीके से लागू करने के निर्देश जारी किए हैं। इसका उल्लंघन करने पर पांच हजार का जुर्माना और छह माह तक की कैद हो सकती है।

शहरी क्षेत्रों में साफ-सफाई के मद्देनजर शहरी विकास सचिव शैलेश बगोली ने सभी नगर निकायों को निर्देश जारी किए हैं और इस कड़ी में 90 निकायों में मंगलवार से स्वच्छता अभियान भी शुरू किया गया है। इसके तहत लोगों को परिवेश की स्वच्छता के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम के कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश भी निकायों को दिए गए हैं।

अपर सचिव शहरी विकास वीके सुमन के अनुसार साफ-सफाई रहेगी तो कोरोना के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। लिहाजा, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी इस जिम्मेदारी को समझते हुए अपने शहर को साफ-सुथरा बनाए रखने में सहयोग करना चाहिए।

अधिनियम में ये है व्यवस्था

कूड़ा फेंकना एवं थूकना प्रतिषेध अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थान पर कूड़ा फेंकना, जमा करना, छलकाना प्रतिबंधित है। साथ ही सार्वजनिक स्थलों पर थूकना भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसका उल्लंघन करने पर पांच हजार रुपये जुर्माना व छह माह के कारावास तक की सजा का प्रविधान है। निरंतर अपराध किए जाने की स्थिति में पांच सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अतिरिक्त अर्थदंड का भी प्रविधान है।