पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से वर्ष 1970 में आये विस्थापित हिंदू बंगाली परिवारों को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। मेरठ स्थित हस्तिनापुर में रह रहे इन 63 बंगाली परिवारों को को कानपुर देहात के रसूलाबाद तहसील अंतर्गत भैंसाया गांव में पुनर्वासित किया  जा रहा है। इन परिवारों को नौ दिसंबर को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित करेंगे। इस दौरान सीएम योगी इन परिवारों को जमीन के कागजात भी सौंपेंगे। इस सम्मान समारोह में शामिल होने के लिए बुधवार को सभी परिवार हस्तिनापुर से लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं।

इन विस्थापित हिंदू बंगाली परिवारों को पुनर्वासित किए जाने की योजना से वंचित रह गए परिवारों को बसाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंभीर हैं। पुनर्वास विभाग एवं एक्ट समाप्त होने के बावजूद कैबिनेट में निर्णय लेकर लेकर मेरठ के हस्तिनापुर से 63 परिवारों को पुनर्वासित करने के लिए रसूलाबाद के भैंसायां व आसपास के गांव की जमीनों पर बसाने का काम शुरू कर दिया गया है। जमीन देख ली गई है और जल्द ही सुविधाओं को देते हुए परिवारों को वहां पहुंचाया जाएगा।

बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने पूर्वी पाकिस्तान से उत्तर प्रदेश आए हिंदू बंगाली परिवारों का नए सिरे से पुनर्वासित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इन परिवारों को खेती के लिए दो-दो एकड़ और घर बनाने को 200 वर्ग मीटर जमीन कानपुर देहात में दी जा रही है। मकान बनाने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना से 1.20 लाख रुपये भी दिए जाएंगे।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से 65 बंगाली परिवार उत्तर प्रदेश आए थे। इन्हें रोजगार देकर मदन कपास मिल हस्तिनापुर, मेरठ में पुनर्वास किया गया था। यह मिल आठ अगस्त, 1984 को बंद हो गई थी। इसके चलते हिंदू बंगाली परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। चूंकि दो परिवारों के सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में 63 परिवार पिछले 30 साल से पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे थे।

योगी सरकार ने इन परिवारों के लिए कानपुर देहात में 121.41 हेक्टेयर भूमि पर पुनर्वास की योजना को स्वीकृति प्रदान की है। इस जमीन में भूमि सुधार व सिंचाई सुविधा मनरेगा से विकसित कराई जाएगी, जिससे इन्हें अच्छी सुविधाएं मिल सकें। इन परिवारों को खेती व मकान बनाने के लिए जमीन एक रुपये लीज रेंट पर 30 वर्ष के लिए पट्टे पर दी जाएगी। यह पट्टा अधिकतम दो बार 30-30 वर्ष यानी कुल 90 वर्ष के लिए नवीनीकरण हो सकेगा।