देहरादून से वीएस चौहान की रिपोर्ट

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहले जब तक राजधानी नहीं बनी थी। देहरादून को चाय की पत्ती और बासमती चावल के उत्पादन के लिए जाना जाता था ।आजादी से पहले  अंग्रेजों ने  देहरादून में  चाय की पत्ती उत्पादन के लिए  टी बागान  लगवाए थे। चाय पत्ती बनाने के लिए कारखाने  लगे हुए थे। बदलते वक्त के साथ अंग्रेजों के लगाए हुए कारखाने बंद हो गए। चाय बागानों में चाय की पत्ती का उत्पादन बंद हो गया ।लेकिन ऐसा नहीं  है। कि उत्तराखंड में चाय की पत्ती का उत्पादन बिल्कुल ही बंद हो गया उत्तराखंड में आज भी चाय की पत्ती का उत्पादन हो रहा है।

बागवानी मिशन के डायरेक्टर संजय कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक जिला नैनीताल , चंपावत , चमोली बागेश्वर इन सभी जिलों में 130581  हेक्टेयर भूमि पर चाय की पत्ती का उत्पादन किया जा रहा है।यहां पर लगभग एक लाख किलोग्राम चाय पत्ती बनाई जा रही है।उत्तराखंड में ग्रीन टी , वाइट टी, रेड टी तीनों प्रकार की चाय पत्ती का उत्पादन किया जा रहा है।चाय पत्ती के लिए 4 फैक्ट्रियां इस वक्त कार्य कर रही है। जहां पर चाय की पत्तियों को तोड़कर चाय पत्ती मार्केट में लाने के लिए तैयार की जाती है।

उत्तराखंड से चाय की पत्ती उत्तराखंड ब्रांड की चाय पत्ती उत्तराखंड में और उत्तराखंड के बाहर कोलकाता भेजी जा रही है। कुछ कंपनियां डायरेक्ट चाय पत्ती खरीद लेती हैं। इस प्रकार से उत्तराखंड में रोजगार के साधन भी बढ़े हैं युवाओं को रोजगार मिल रहा है।