वीएस चौहान की रिपोर्ट

पिछले दिनों हमारे देश में कई बड़े बदलाव हुए हैं जैसे बीजेपी के कार्यकाल में तीन तलाक का हटना। यानी तीन तलाक के लिए नया कानून बनाना। कश्मीर से 370 हटाना ।हमारे देश में सी ए ए यह कानून लागू होना ।अमेरिका से राफेल  विमान भारत में आना। जिससे हमारी देश की सैन्य शक्ति बहुत मजबूत हुई है।  माना जाता है कि यदि किसी देश में कोई बड़ा बदलाव लाना है तो वहां की शिक्षा नीति में भी बदलाव आना चाहिए। पिछले दिनों हमारे देश में ऐसा ही कुछ हुआ है ।एचआरडी मिनिस्ट्री का नाम बदलकर शिक्षा  मंत्रालय कर दिया गया है ।

 

पिछले 34 वर्षों बाद  देश की नई शिक्षा नीति  में बदलाव किए जा रहे हैं।नई शिक्षा नीति को लेकर आप भी सोच रहे होंगे कि नई शिक्षा नीति में क्या-क्या बदलाव किए जा रहे हैं । आपको बता दें पहले शिक्षा टेन प्लस टू के फॉर्मेट पर चलती थी ।अब जो सरकार ने शिक्षा नीति का जो नया फार्मूला बनाया है वह 5 + 3 + 3 +4  का फार्मूला बनाया गया है ।पहले पांच का मतलब है कि छोटे बच्चों के लिए फॉर्मल एजुकेशन  होगी।जो कि 3 वर्ष की होगी यानी के पहले 6 वर्ष की उम्र में बच्चा पहली क्लास में एडमिशन लेता था।  अब 3 वर्ष की उम्र में ही  बच्चे का एडमिशन हो जाएगा।  और 3 साल तक  उसकी फॉर्मल  एजुकेशन चलेगी। यह कहें कि 3 साल बाद वह बच्चा क्लास फर्स्ट में आएगा। इसके बाद क्लास टू होगी इसका मतलब पहले पांच का अर्थ है क्लास 2 तक की शिक्षा होगी ।और छोटे बच्चों पर किताबों का बोझ कम हो जाएगा। खेल कूद और अन्य गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा।

इसके बाद  5  +3 है इसका मतलब क्लास तीसरी ,चौथी और पांचवी है। इसके बाद  5 + 3 + 3 है इसका मतलब कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा है। 6 से 8 तक की शिक्षा में व्यावहारिक शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। चाइना की तर्ज पर छात्र का  जिस काम के प्रति  या जिस क्षेत्र में  जायदा रुझान है।  उसको उसी प्रकार की शिक्षा दी जाएगी ।इसके बाद  5 +3 + 3 + 4  की शिक्षाएं  है  इसका मतलब है नौवीं क्लास से 12वीं क्लास तक की शिक्षा शिक्षा दी जाएगी ।यहां पर  विश्लेषणात्मक  क्षमता को बढ़ाया जाएगा।ताकि उन बच्चों में गहरी समझ  और बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता हो।

आने वाले समय में स्ट्रीम सिस्टम बंद हो जाएगा।  इसके बाद  आर्ट की पढ़ाई करने वाला  छात्र भी  बायोलॉजी की भी पढ़ाई कर सकेगा।कॉमर्स का छात्र  फिजिक्स के साथ में पढ़ाई कर सकेगा।  इसके लिए एक पूल बनाया जाएगा। दूसरी खास बात भाषा को लेकर है ।इस नई शिक्षा नीति में 3 भाषाओं की बात की गई है। कक्षा 5 तक मातृभाषा हिंदी या उस क्षेत्र की लोकल भाषा में शिक्षा होगी। यदि संभव हो कक्षा 8 तक की शिक्षा भी मातृभाषा या लोकल भाषा  में हो। शिक्षा में अंग्रेजी अनिवार्य नहीं होगी ।अंग्रेजी विषय  एक सब्जेक्ट के रूप में होगा। यानी के अंग्रेजी को एक विकल्प के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति में तीसरी बात यह है कि जिसका संबंध बोर्ड परीक्षा से है। बोर्ड परीक्षा वर्ष में दो बार होगी। यानी छह छह महीने के समेस्टर होंगे ।अब बच्चों को वर्ष भर मेहनत करनी होगी। अक्सर यह होता था  कि छात्र फाइनल परीक्षा में ही अपनी परीक्षा की तैयारी करते थे या यह वर्ष के आखिर में ही अपनी परीक्षा की तैयारी करते थे ।अब छात्रों को कोचिंग की आवश्यकता नहीं होगी ।अब नंबरों का दबाव नहीं होगा ।छात्र छात्राओं की क्षमता का आकलन होगा ना कि उनकी याददाश्त का आकलन होगा। शिक्षा की नीति की वर्ष 2021 से 2022 में लागू होने की उम्मीद है।

अब ग्रेजुएट की शिक्षा में भी बदलाव होंगे। ग्रेजुएट के लिए 4 वर्ष का कोर्स होगा। पहले यह कोर्स 3 वर्ष का होता था ।पहले छात्र  अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दें  तो उनको डिग्री नहीं मिलती थी।  अब ऐसा नहीं होगा अब नई शिक्षा नीति के अनुसार इस 4 वर्ष में प्रथम वर्ष सर्टिफिकेट कोर्स होगा। दूसरे वर्ष एडवांस सर्टिफिकेट कोर्स होगा ।तीसरे वर्ष डिग्री कोर्स होगा ।चौथे वर्ष डिग्री शोध के साथ होगा ।अब छात्र मल्टी सब्जेक्ट के साथ अपनी पढ़ाई कर सकेंगे। जिस प्रकार से छह से आठ की पढ़ाई में मल्टी सब्जेक्ट की सुविधा दी गई है। इसके साथ एक सुविधा और भी होगी यदि आप  ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं।  साथ ही कोई दूसरा कोर्स करना चाहते हैं । तो आप बीच में दूसरा कोर्स कर सकेंगे । और इसके बाद  आपने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई  जहां छोड़ी थी।  वहीं से अपनी वह पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। इसी प्रकार पोस्ट ग्रेजुएशन के कोर्स में भी बदलाव हो रहे हैं। पहले वर्ष मास्टर कोर्स होगा दूसरा विकल्प 4 साल के डिग्री शोध के साथ होगा यानी कि आप अभी 4 साल का ग्रेजुएशन कर रहे हैं उसके बाद 1 साल का पोस्ट  ग्रेजुएशन करने के बाद आप सीधे पीएचडी कर सकेंगे। तीसरा विकल्प 5 साल का इंटीग्रेटेड ग्रेजुएशन प्लस पोस्ट ग्रेजुएशन पीएचडी डिग्री शोध के साथ होगा। एम फिल को बंद करने का प्रोग्राम है। आपको सुनकर ताज्जुब होगा कि नई शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए दो लाख लोगों से ज्यादा की राय ली गई।

यह कहना गलत नहीं होगा। इस शिक्षा नीति को समझने के लिए अभी और वक्त लगेगा।  इस नई शिक्षा नीति का कंप्लीट स्वरूप अभी आने वाले समय में मिल पाएगा।मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल के मुताबिक इस शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए देश के कोने कोने से अभिभावकों से, छात्रों से ,शिक्षाविदों से ,विशेषज्ञों से, जनप्रतिनिधियों से, एक लाख 25 हजार  ग्रामीण समितियों से विचार विमर्श किया गया है यह एक दुनिया में उदाहरण है।