शिमला,(विजयेन्द्र दत्त गौतम): पिछले लगभग 7 साल से डीपीआरओ एवं जिला भाषा अधिकारी कार्यालयों में चयनित कलाकारों को इस आपदा Covid -19 में घर का चूल्हा चलाना मुश्किल हो गया है। दुःख की बात है कि यह वही कलाकार हैं जो सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को समाज के कोने कोने तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। यह बात अखिल भारतीय असंगठित कामगार कांग्रेस, राज्य महामंत्री व वरिष्ठ उपाध्यक्ष हिप्र इंटक राजीव राणा ने कही। उन्होंने कहा कि जब से देश में वैश्विक महामारी कोरोना covid -19 का कहर फैला है, तब से स्थानीय फेस्टिवल, मेले व लोगों के घर में जागरण व् अन्य मनोरंजन कार्यक्रम के बूते पेट पाल रहे इन मज़दूर कलाकारों का अन्य कोई आय का साधन नहीं है और आने वाले समय में लगभग एक साल तक कोई पब्लिकली कार्यक्रम की भी कोई उम्मीद नहीं है।
राजीव राणा ने बताया कि उन्होंने इस बारे में कुछ कलाकारों में बंदना धीमान, रिया कटोच, बॉबी शर्मा, सुमित नारायण, सेरा कसेंटा, बिट्टू खरैक, प्रिंस आदि से बात भी की है। राणा ने सरकार से गुहार लगाई कि चाहे अच्छा हो या बुरा हर वक्त ये कलाकार हमेशा समाज के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन इस आपदा के समय सरकार का सामाजिक एवं नैतिक कर्तव्य बनता है, कि इनकी आर्थिक सहायता करके इन के साथ खड़े हों।
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मनरेगा मज़दूरों, भवन एवं अन्य कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत लाभार्थियों को वित्तीय सहायता दी गई। तथा बीपीएल, अंत्योदय को निशुल्क राशन दिया गया, उसी प्रकार इन मज़दूर कलाकारों को भी सरकार वित्तीय सहायता प्रदान करें। राणा ने कहा कि हिमाचल सरकार डीपीआरओ एवं डीएलओ एवं अन्य विभागों से डाटा एकत्रित करें।राजीव राणा ने माननीय मुख्यमंत्री हिप्र को इस बारे में पत्राचार द्वारा मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। ताकि समाज के अभिन्न अंग इन कलाकारों के परिवारों को भी इस विपदा के समय मदद प्राप्त हो सके।