Chandrayaan 2 Soft Landing: चांद की सतह पर चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग आज देर रात (छह-सात सितंबर की मध्य रात्रि) करीब दो बजे करीब होगी। इसके साथ ही भारत चंद्र मिशन (Moon Mission) में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर देगा। हालांकि, ये चुनौती इतनी आसान नहीं है। लैंडिंग के अंतिम 15 मिनट बेहद चुनौतीपूर्ण होंगे। पूरे मिशन की कामयाबी इन अंतिम 15 मिनट पर ही टिकी है। आइये जानतें हैं क्या हैं ये चुनौतियां?

इसरो अध्यक्ष के. सिवन के अनुसार कंट्रोल रूम में वैज्ञानिकों की टीम पूरी एक्यूरेसी से काम कर रही है। चंद्रयान-2 को चंद्रमा के साउथ पोल पर सफलतापूर्वक उतारना सबसे बड़ी चुनौती है। एक छोटी सी चूक पूरे मिशन को खत्म कर सकती है। उन्‍होंने कहा, ‘जब हम सब कुछ सही पाएंगे तो चंद्रयान-2 को चांद पर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी।’ उन्‍होंने बताया कि 7 सितंबर को प्रात: काल 1:55 बजे (छह-सात सितंबर की मध्य रात्रि), लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर लैंड करेगा।

 

ये हैं 15 मिनट की 15 चुनौतियां :-
1. लैंडिंग की अवधि काफी खतरनाक होगी। दरअसल लैंडर को चांद पर लैंडिंग के लिए उचित जगह का चुनाव खुद करना होगा। लैंडिंग ऐसी जगह पर कराई जानी है, जो समतल और सॉफ्ट हो।

2. चंद्रयान-2 जब 100 मीटर की दूरी पर होगा, तो एकत्र किए गए डाटा और तस्वीरों के आधार पर सुरक्षित लैंडिंग की जगह का चुनाव करेगा। इस पूरी प्रक्रिया में तकरीबन 66 सेकेंड का वक्त लगेगा।

3. अब तक चांद को लेकर जो भी अध्ययन हुए हैं, उसमें चांद की सतह को काफी ऊबड़-खाबड़ बताया गया है। चांद पर गड्ढे और पहाड़ हैं।

4. लैंडिंग की सतह 12 डिग्री से ज्यादा उबड़-खाबड़ नहीं होनी चाहिए, ताकि यान में किसी तरह की गड़बड़ी न हो। लैंडर गलत जगह उतरा तो वह फंस सकता है या किसी पहाड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त भी हो सकता है। इससे पूरा मिशन खत्म हो जाएगा।

5. चंद्रयान-2, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। आज तक यहां कोई भी मून मिशन नहीं पहुंचा है। चांद का ये हिस्सा हमेशा अंधेरे में रहता है। इस वजह से चंद्रयान की लैंडिंग और चुनौतीपूर्ण है।

6. सतह पर उतरने के बाद चार घंटे बाद तक विक्रम एक ही स्थान पर रहेगा। इस दौरान वह आसपास की सतह, वहां के तापमान आदि के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाएगा।

7. चार घंटे बाद विक्रम का दरवाजा खुलेगा और उसके अंदर से प्रज्ञान बाहर निकलेगा।

8. जब चंद्रयान-2 की दूरी केवल 10 मीटर रह जाएगी तो उसके 13 सेकेंड के अंदर यह चांद की सतह को छू लेगा।

9. लैंडिंग के वक्त विक्रम के सभी पांच इंजन काम करना शुरू कर देंगे।

10. चंद्रयान जब चांद की सतह से 400 मीटर की दूरी पर होगा तो वह 12 सेकेंड तक लैडिंग के लिए जरूरी डाटा एकत्रित करेगा। ये क्षण बेहद महत्वपूर्ण होगा।

11. डाटा एकत्र करने की प्रक्रिया से करीब 89 सेकेंड पहले 400 मीटर की ऊंचाई पर ही इसरो के कंट्रोल रूम से विक्रम को थोड़ी देर के लिए बंद किया जाएगा।

12. चंद्रयान 2 चांद की सतह से जब करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर होगा तो उसकी रफ्तार कम की जाएगी। उसकी रफ्तार घटाकर 331.2 किमी प्रतिघंटा हो जाएगी।

13. चांद पर उतरने से ठीक 15 मिनट पहले जब चंद्रयान करीब 30 किमी दूरो होगा तो उसकी रफ्तार को कम करना शुरू कर दिया जाएगा।कई चरण में इसकी रफ्तार को लगातार कम किया जाएगा, ताकि चांद पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई जा सके।

14. चांद की सतह पर उतरने के 15 मिनट बाद लैंडर विक्रम वहां की पहली तस्वीर इसरो के कंट्रोल रूम में भेजेगा।

15. चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश है। इससे पहले किसी देश ने इस तरह से लैंडिंग नहीं की है। ये किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह होगा।