मेरठ। नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की ओर से पहली बार नेशनल इंटर-डिस्टि्रक्ट जूनियर एथलेटिक्स मीट-2019 में डोप टेस्ट की तैयारी है। इस प्रतियोगिता में जिला स्तर से खिलाड़ी सीधे एथलेटिक्स के महाकुंभ में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इसीलिए नाडा ने इस स्तर पर भी डोप टेस्ट की योजना बनाई है, ताकि खेल की नींव को मजबूत किया जा सके। तिरुपति में होने जा रही इस नेशनल एथलेटिक्स मीट में देशभर के 500 जिलों के करीब 4,500 जूनियर खिलाड़ी हिस्सा लेंगे।
छोटी उम्र से सतर्कता
नेशनल इंटर-डिस्टि्रक्ट एथलेटिक्स मीट में 12 साल के खिलाड़ी हिस्सा लेने लगते हैं। इसमें अंडर-14 और अंडर-16 आयुवर्ग की प्रतियोगिताएं होती हैं। जिलों के एथलेटिक्स संगठन अपने बेहतरीन खिलाडि़यों को ही इस प्रतियोगिता के लिए चुनकर भेजते हैं। जिले से सीधे नेशनल में प्रतिभागिता होने पर प्रतिस्पर्धा अधिक होती है। नाडा द्वारा सीनियर वर्ग के खेलों में डोप टेस्ट किया जाता है। अब जूनियर वर्ग में 12 साल से अधिक आयुवर्ग के खिलाडि़यों को भी डोप टेस्टिंग के दायरे में लाने का उद्देश्य खिलाडि़यों व उनके परिजनों को डोपिंग के नकारात्मक पहलुओं से अवगत करा इससे दूरी बनाने के लिए प्रेरित करना है।
डोपिंग की राह दिखाने वाले भी रडार पर
एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी एथलेटिक्स कोचों को खिलाडि़यों का सही मार्गदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। कोचों को प्रतिबंधित दवाओं से दूरी बरतने की हिदायत भी दी जाती है। ऐसे में छोटी उम्र के खिलाडि़यों में यदि किसी तरह की डोपिंग पाई जाती है तो उनके कोचों को इसका जिम्मेदार मानकर सख्त कार्रवाई की जाती है।
साफ होगी पूरी पीढ़ी
जिला एथलेटिक संघ के सचिव अन्नू कुमार के अनुसार एएफआइ व नाडा के इस पहल से नई पीढ़ी के खिलाडि़यों को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी। खिलाडि़यों में जहर घोलने वालों को भी चिन्हित कर उनके नाम उजागर किए जाने चाहिए, ताकि खिलाड़ी व परिजन भी उनके पास जाने से बचें।