चंडीगढ़ ,(विजयेन्द्र दत्त गौतम) : पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान उगाने वाले किसानों की समस्याओं से सरकार को अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि हमारे गरीब किसान पहले ही प्राकृतिक आपदा और महामारी की विपत्ति के कठिन दौर का सामना कर रहे हैं, ऐसे में बुआई के ऐन पहले सरकार को पंचायती ज़मीन पट्टे पर लेने वाले किसानों पर धान न उगाने जैसे फैसलों को थोपने से परहेज़ करना चाहिए। मौजूदा कोरोना काल के बुरे दौर के गुजरने के बाद हालत सामान्य होने तक सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। जल संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को दादूपुर नलवी परियोजना को फिर से शुरू करना चाहिए। डार्क ज़ोन में तालाब, ड्रेन आदि खुदवाने चाहिए, जिससे बरसात के पानी का संचयन किया जा सके। ड्रिप ईरिगेशन एवं फव्वारा तकनीक से सिंचाई को बढ़ावा देना होगा।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय सरकार की अपील पर किसानों ने सबसे ज़्यादा पानी लेने वाली साठी धान उगानी बंद कर दी थी। इसके लिए सरकार ने बिना किसी जोर-जबरदस्ती के किसानों को जागरूक किया और धान की ऊंचे रेट पर निर्यात को प्रोहत्साहन दिया। बीजेपी सरकार को भी धान की वैकल्पिक फसल उगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित और जागरूक करना चाहिए। सरकार को धान की वैकल्पिक फसल मक्का और दालों को उचित रेट पर ख़रीदने का भरोसा किसानों को दिलाना होगा। हुड्डा ने कहा कि सरकार को प्रोत्साहन राशि के साथ मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल और ग्रीष्म मूंग (बैसाखी मूंग) की सौ फ़ीसदी सरकारी ख़रीद करनी चाहिए। किसानों को धान के मुक़ाबले अन्य फसलों का जितना कम रेट मिले, उसकी भरपाई भावांतर योजना के तहत करने का इंतजाम करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अभी किसानों पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाने से उनकी मुश्किलें और बढेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यमुनानगर, शाहबाद समेत कई जगहों से गन्ने का भुगतान न होने की ख़बर मिली है। इसलिए सरकार से आग्रह है कि किसानों की बकाया पेमेंट का भुगतान तुरंत कराया जाए।
***