देहरादून:। उत्तराखण्ड संयुक्त टे्ड यूनियंस संघर्ष समिति के आह्वान पर ट्रेड यूनियनों की हड़ताल रही। जिसके चलते बैंकों, मुख्य डाकघर आदि के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। इस देशव्यापी हड़ताल के तहत कर्मचारियों ने अपने-अपने कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन कर धरना दिया। हड़ताली कर्मचारियों ने गांधी पार्क से रैली निकालकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
हड़ताली कर्मचारियों का कहना था कि केन्द्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के कारण देश के कई करोड़ मजदूर बेरोजगार होकर आज भूखों मरने की स्थिति में है। केन्द्र में भाजपा सरकार के आने के बाद से अब तक 12 करोड़ से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गये है। कहा कि किसानों की एतिहासिक आत्महत्याओं का रिकार्ड भाजपा सरकार की गलत नीतियों का ही परिणाम है। कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा संसद में धींगामुश्ती से तीन श्रम कानूनों पर संशोधन किये गये थे जो कि गैर जनतान्त्रिक तो है ही साथ ही मजदूरों को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है। इस अवसर पर इंटक के प्रांतीय अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, प्रांतीय सचिव लेखराज, अशोक शर्मा, बैंक कर्मचारियों की यूनियन के एसएस रजवार, बीमा कम्पनियों से नन्दलाल शर्मा तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्री यूनियन, आशा, भोजनमाता सहित कई संगठनों के बड़ी संख्या में हड़ताली कर्मचारी मौजूद रहे।
वहीं आयकर कर्मचारी महासंघ ने आज अपने कार्यालय में भारतीय संविधान की उद्देशिका का पाठ करने के बाद राष्ट्रव्यापी हड़ताल में शिरकत की। उनका कर्मचारियों द्वारा मांग की जा रही है कि नई पेंशन व्यवस्था केा हटा कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। न्यूनतम मजदूरी निर्धारण फार्मूला में संशोधन किया जाए। सरकारी विभागों, संस्थाओं के निजिकरण एवं निगमीकरण पर रोक लगाई जाए। सभी रिक्त पदों पर यथाशीघ्र भर्ती की जाए। नये पदों के सृजन पर लगी रोक को हटाया जाए। महंगाई भत्ते को फ्रीज करने के आदेश वापस लिये जाएं। मृतक आश्रितों को नियुक्ति के लिए पांच प्रतिशत सीलिंग लिमिट को समाप्त किया जाए। सभी कैजुअल और संविदा पर रखे गये कर्मचारियों का नियमितिकरण किया जाए। इस दौरान कामरेड दलबीर सिंह पुण्डीर, विरेंद्र कुमार, विनयकांत, जॉनी नेगी, अखिलेश मिश्रा, प्रकाश उपाध्याय, सुनील कुमार, सुरेश राय, कविंद्र फर्सवान, सतीश उपाध्याय, केशव बहादुर, स्वाती भंडारी, ज्योति राजपूत तथा चंदन कुमार आदि शामिल रहे। वहीं मुख्य डाकघर के साथ ही तमाम बैंकों के कर्मचारियों ने बैंकों के बाहर प्रदर्शन कर देशव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया।